देहरादून- एक महीने में सूरत बदल जानी चाहिए। गंगा यमुना समेत दूसरी कई नदियों के माएके, गाड-गधेरे, ताल और झरनों के मुल्क माने जाने वाले उत्तराखंड में कई जल स्रोत उसके पहाड़ी गांवों की तरह सूखने लगे हैं। गांव धीरे-धीरे खाली हो रहे हैं जबकि उसी रफ्तार से जल स्रोत भी सूख रहे हैं। लिहाजा जरूरत से ज्यादा आबादी के करण घुटते राज्य के मैदानी इलाके हों या कम आबादी के चलते उदास पहाड़ी गांव, हर जगह पानी के लिए त्राहि-माम मचा हुआ है।
ऐसे में राज्य सरकार ने पानी की कमी से निबटने के लिए एक महीने का प्लान बनाया है, ताकि भूजल स्तर में इजाफा हो सके। इसके तहत राज्य में एक महीने के भीतर 2500 नए तालाब बनेंगे जबकि 1000 मौजूदा जलस्रोतों का संवारा जाएगा। इसके लिए ग्राम्य विकास विभाग
ने सभी जिलों के लिए लक्ष्य तय कर दिए हैं। जिलों को हर हफ्ते अपनी प्रगति रिपोर्ट सौंपनी होगी। 25 मई से 30 जून तक चलने वाले जल संचय अभियान में जिले में जहां नए तालाब बनाने होंगे वही पुराने जल स्रोतों को संवारना भी होगा। मनरेगा के तहत चलने वाले इस क्रार्यक्रम में ग्रामीण अपनी जमीन में तालाब बनांएगे। जिसका पानी फसलों की सिंचाई से लेकर पशुओं के पीने तथा जरूरत के वक्त इस्तमाल किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर ग्राम्य विकास विभाग के अपर सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को इस बावत निर्देश जारी करते हुए पंचायत स्तर पर तालाब बनाने और परंपरागत जल स्रोतों को पहचान कर उसका डाटा मांगा गया है। ताकि पानी बचाने के सरकारी अभियान की सलीके से मॉनटरिंग हो सके और सरकार की योजना उसके अंजाम तक पहुंच सके।