चमोली- सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने की राज्य सरकार की मुहिम को ज्वाइनिंग लेने वाले डॉक्टर करारा झटका दे रहे हैं।
इसका पता उस वक्त चला जब बजट सत्र के दौरान टिहरी विधायक धन सिंह नेगी के तारांकित प्रश्न किया।
जिसके जवाब में सरकार ने बताया कि स्वास्थ्य महकमे के अभिलेखों के मुताबिक 126 ऐसे डॉक्टर हैं, जो कार्यभार ग्रहण करने के बाद अपनी ड्यूटी से गैरवाजिब तरीके से गैरहाजिर हैं।इनमें से किसी भी चिकित्सक को दीर्घावकाश शासन या मुख्यालय स्तर से स्वीकृत नहीं किया गया है।
सरकार ने यह भी साफ किया कि जिला स्तर पर डॉक्टरों के अनुबंध विस्तार की अनुमति नहीं दी जाती। संविदा पर कार्यरत 65 वर्ष तक के डॉक्टरों का सेवा विस्तार महानिदेशक और इससे अधिक आयु के डॉक्टरों का सेवा विस्तार शासन स्तर से किया जाता है।
गौरतलब है कि संविदा पर कार्यरत बांडधारी डॉक्टरों को पांच वर्ष के लिए सीधे महानिदेशक द्वारा चिकित्सा इकाइयों में तैनात किया जाता है। यह भी जानकारी दी गई कि पीएमएचएस संवर्ग के गैरहाजिर डॉक्टरों के विरुद्ध अनुशासन एवं अपील नियमावली के तहत कार्यवाही की जाती है।
बहरहाल डॉक्टरों के इस रवैए को देखते हुए महसूस हो रहा है कि कौन सी सरकार चिकित्सकों के लिए भगवान बुद्ध बनेगी ताकि इनका हृदय परिवर्तन हो और दुखी पहाड़ी आबादी को रहात मिल सके। सरकारी अस्पतालों में गरीब-गुरबों को भगवान के दर्शन हो सकें।
हालांकि माना जा रहा है कि जिस तरह से सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने का अधिकार दिया है उसकी वसूली के लिए डॉक्टर कभी भी सरकारी अस्पतालों को तरजीह नहीं देंगे। लिहाजा जरूरत है कई मंचों पर साझा काम करने की ताकि बदलाव की बयार बह सके।