देहरादून- उत्तराखंड में विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने तबादला एक्ट पारित किया था।जिसपर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी. कि अब जो पहाड़ और दुर्गम के लोग है उन्हें सुगम का सुख भोगने को मिलेगा और मनचाही हो रही ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक लगेगी और कमीशनखोरी रुकेगी. लेकिन वहीं हुआ इसका उल्टा आज वहीं तबादला एक्ट सरकार के गले की फांसी बनता जा रहा है.
मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया तबादला एक्ट में संशोधन का फरमान जारी
सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अब तबादला एक्ट में संशोधन का फरमान जारी किया है. तबादला एक्ट में बढ़ते विवादों के मद्देनजर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अब तबादला एक्ट में संशोधन करने की तैयारी कर रहे हैं इसके लिए उन्होनें सभी विभागों से 15 दिन अंदर सुझाव मांगे हैं. आखिर संशोधन भी क्यों न हो खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और बीजेपी के अन्य नेताओं की धर्मपत्नियों का ट्रांसफर मामला जो सामने आ रहा हैं. जहां शिक्षिका उत्तरा पंत अपने तबादले को लेकर जनता दरबार में फरियाद लगाती है और उसे निलंबित कर दिया जाता है तो वहीं क्या सूबे के मुखिया की धर्मपत्नी और बीजेपी के अन्य नेताओं की धर्मपत्नियां मलाई खा रही हैं. और सूबे के मुखिया ने उनके लिए एक्ट में ही संशोधन करने का मन बना लिया है
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का वार
तो वहीं विपक्ष ने भी इसको मुद्दा बना दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार को जो एक बार फैसला ले लेना चाहिए उसपर मजबूती से खड़े रहना चाहिए. सरकार ये दोहरा चरित्र क्यों अपना रही है. सरकार ने जनता दरबार को राज दरबार बना दिया है. जहां केवल राजा की चलती है. बीजेपी के नेताओं के धर्मपत्नियां शिक्षक हैं और सब देहरादून में हैं साथ ही खुद मुखिया की पत्नी भी हैं क्या उनके ऊपर ये एक्ट लागू नहीं होता. नियम सबके ऊपर लागू होता है चाहे वो कोई भी हो.
तबादला एक्ट में संशोधन सरकार का अपना विशेषाधिकार-प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट
बीजेपी के प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने कहा कि तबादला एक्ट में संशोधन सरकार का अपना विशेषाधिकार है. और सरकार तबादला एक्ट में विभागों से सुझाव मांग रही है. ये अच्छी बात है. कोई भी अधिनियम बनता है तो उसमें संसोधन होना स्वाभाविक है इसमें विपक्ष को सवाल नहीं उठाने चाहिए.