कैग की रिपोर्ट में एक खुलासे को लेकर आज प्रदेश में चर्चाओं के बाजार गर्म हैं। इसी बीच सरकार ने इस पर स्थिति को स्पष्ट की है। जिसमें सरकार द्वारा बताया गया है कि रिपोर्ट का आधार पर दैनिक सामाचार पत्रों में दी गई इस खबर का मामला “एकाउंटिंग कन्वेंशन” ले जुड़ा हुआ है।
कैग की रिपोर्ट के खुलासे पर सरकार ने की स्थिति स्पष्ट
दरअसल गुरुवार को समाचार माध्यमों में एक खबर छपी। इस खबर में कैग की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि राज्य में सरकारों ने अब तक बिना अनुमति के 47 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी है। इस पर अब सरकार ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए रिपोर्ट जारी की है। सरकार ने कहा है कि कैग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विधायी स्वीकृति के बिना वर्ष 2005-06 से 2020-21 तक की अवधि से सम्बन्धित व्ययाधिक्य की धनराशि 47.758.16 करोड़ रूपए को राज्य विधान मण्डल द्वारा विनियमित किया जाना बाकी है।
डब्ल्यू.एम.ए की राशि राज्य की संचित निधि में होती है जमा
इसमें बताया गया है कि ये राशि डब्ल्यू.एम.ए और खाद्य एवं कृषि विभाग की पूजीगत मदों से संबंधित है। बता दें कि डब्ल्यू.एम.ए सरकार की प्राप्तियों और भुगतान में दिन-प्रतिदिन के बेमेल (Mismatch) को कवर करने के लिये एक तंत्र है।
इस सुविधा के अन्तर्गत संचित निधि से व्यय अधिक होने पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अस्थाई रूप से राज्य को कम पड़ रही धनराशि अर्थोपाय अग्रिम के रूप में दी जाती है। जिसे आने वाले दिनों में राज्य की संचित निधि में जमा होने वाली धनराशि में समायोजित कर दिया जाता है।
एकाउंटिंग कन्वेंशन से जुड़ा है मामला
इसमें बताया गया कि 47758.16 करोड़ के व्यय वाली रिपोर्ट में 27814. 23 करोड़ की धनराशि अर्थोपाय अग्रिम यानी कि डब्ल्यू.एम.ए के रूप में अंकित है। जो इस धनराशि का 58.24 प्रतिशत है। जिसे कैग रिपोर्ट में अर्थोपाय अग्रिम के रूप में ली गयी धनराशि के प्रत्येक अवसर के योग पर आधारित है। इसमें समायोजन का संज्ञान नहीं लिया गया है।
यहां पर स्पष्ट किया जाता है कि अधिक व्यय की ये रिपोर्ट एकाउंटिंग कन्वेंशन से जुड़ी है। कैग की रिपोर्ट में सकल आधार पर गणना की गयी है जबकि राज्य सरकार द्वारा निवल आधार पर बजट प्रावधान किया जाता रहा है
इसके साथ ही सरकार द्वारा ये स्पष्ट किया गया है कि 47758.16 करोड़ के खर्च में खाद्य पूंजीगत मद में रू0 1880323 करोड़ की धनराशि अंकित है। जो कुल धनराशि का लगभग 39.37 प्रतिशत है। ये भी एकाउंटिंग कन्वेंशन” से ही सम्बन्धित है।
लेखों के मिलान में हुई है गड़बड़ी
इसके साथ ही ये भी स्पष्ट किया गया है कि 47 हजार करोड़ रूपए में अन्य विभागों से सम्बन्धित रू0 955.96 करोड़ की धनराशि अंकित है जो कुल धनराशि का लगभग 2.00 प्रतिशत है। जो कि मुख्यतः लेखों के मिलान से सम्बन्धित है।
यहां पर ये स्पष्ट किया गया है कि 47 हजार को बिना विधानसभा की मंजूरी के खर्च नहीं किया गया है। ये एकाउंटिंग कन्वेंशन तथा लेखों के मिलान से सम्बन्धित मामला है। राज्य सरकार विधान सभा द्वारा पारित बजट की सीमा के अन्तर्गत ही व्यय करती है। कोषागार (आई०एफ०एम०एस० ) से बजट प्रावधान से अधिक धनराशि आहरित नहीं हो सकती है