डेस्क- केंद्र सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय संचार क्षेत्र में उत्तराखंड को ऐसी सौगात देने वाला है जिसे उसने आजतक देश में किसी भी राज्य को नहीं दिया है। जी हां उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा जहां केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से राज्य के सैकड़ों दर्गम गांवों में भी इंटनेट और फोन सुविधा सबके लिए मुहैय्या हो जाएगी।
राज्य मे केंद्र की मदद से उत्तराखंड इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी डेवलेपमेंट एजेंसी(ITDA) बैलून तकनीक का इस्तमाल करेगी और दुर्गम से दुर्गम गांव भी संचार सेवा अब सपना नहीं रहेगा और संचार से अछूते गांवों को इंटरनेट, और मोबाइल जैसी संचार सहुलियते नसीब हो जाएंगी।
दावा किया जा रहा है कि, देश में उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य होगा जहां संचार की सहूलियत को सुगम बनाने के लिए बैलून तकनीक का इस्तमाल किया जाएगा। गौरतलब है कि राज्य के 680 गांव आज भी ऐसे हैं जहां डिजिटल इंडिया के दौर में भी मोबाइल फोन सिर्फ खिलौने हैं और जिस ग्रामीण ने गांव से बाहर अभी कदम नहीं रखा उसे इंटरनेट किसी परीकथा का किस्सा महसूस होता है।
दरअसल पहाड़ी राज्य के कठिन भूगोल में इन 680 गांवों की भौगोलिक परिस्थितियां इतनी जटिल हैं कि यहां संचार के लिए जरूरी ऑप्टिकल फाइबर बिछाना, मोबाइल टावर या फिर किसी दूसरे साजो-समान की स्थापना करना भूसे मे सुई खोजने के समान है।
लिहाजा अब केंद्र की मदद से राज्य के ऐसे दुर्गम इलाकों में बैलून तकनीक का इस्तमाल किया जाएगा। इस तकनीक में दुर्गम इलाके में 50 मीटर अधिकतम ऊंचाई तक जाने वाले एक गुब्बारे को उड़ाया जाएगा। बैलून पर सिग्नल देने के लिए एक एंटीना लगा होगा। एंटीना तार के माध्यम से जमीन में लगे बेस स्टेशन से जुड़ा रहेगा। सिग्नल ऑन होते ही बैलून के जरिए 20 से 45 किलोमीटर की परिधि में आने वाले इलाके के मोबाइल फोन सक्रिय हो उठेंगे और मोबाइल फोन और कंप्यूटर पर इंटरनेट का जलवा दिखना शुुरू हो जाएगा। मीडिया रिपोर्टस की माने तो बैलून तकनीक के लिए राज्य में दो साइट पर इसके ट्रायल की तैयारी की जा रही है।