Big News : वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर, बाघ की चहलकदमी से चीला-मोतीचूर कॉरिडोर हुआ गुलजार - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर, बाघ की चहलकदमी से चीला-मोतीचूर कॉरिडोर हुआ गुलजार

Reporter Khabar Uttarakhand
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Chila-Motichoor corridor

Chila-Motichoor corridor
प्रदेश और देशभर के वन्यजीव प्रेमियों के लिए उत्तराखंड से अच्छी खबर है। देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश हाईवे पर उत्तराखंड में वन्यजीवों का सबसे बड़ा और पुराना चीला-मोतीचूर कॉरिडोर लगभग तीन दशक बाद फिर से गुलजार होना शुरू हो गया है। हाल ही में हाईवे पर फ्लाईओवर के नीचे इस कॉरिडोर में घुमता हुआ बाघ कैमरा ट्रैप में नजर आया। वन विभाग वन्यजीव संरक्षण वन्यजीवों के लिए इसे फायदेमंद बताया है।

गौरतलब है कि देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश हाईवे और रेलवे ट्रैक के चलते राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क पूर्वी और पश्चिमी दो भागों बंट जाने के कारण पार्क के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में वन्यजीवों की आवाजाही बंद हो गई। पार्क के पूर्वी हिस्से में जहां 34 बाघ हैं, वहीं पश्चिमी हिस्से में मात्र दो बाघिन अकेले रह गई थीं। लेकिन अब हाईवे पर फ्लाईओवरों के निर्माण के चलते चीला-मोतीचूर कॉरिडोर में फिर गुलजार हो गया है। बता दें कि वाइल्ड लाइफ के लिए मशहूर राजाजी टाइगर रिजर्व देश का एकमात्र ऐसा टाइगर रिजर्व है, जो चारों ओर से आबादी से घिरा हुआ है।

चीला-मोतीचूर कॉरिडोर को फिर से गुलजार करने के पिछले दो साल से प्रयास किए जा रहे थे। इसके लिए ऋषिकेश के खांड़ गांव को भी विस्थापित किया गया। इसके बाद हाईवे पर सितंबर 2021 में तीन प्लाई ओवर का निर्माण किया गया। ये प्रयास अब इन वन्यजीवों के लिए सफल होता दिख रहा है। वहीं वर्ष 2019 के एनएचएआई के अनुसार, फ्लाईओवर बनने से पहले देहरादून-हरिद्वार हाईवे पर कॉरिडोर के इस हिस्से में एक दिन में लगभग एक लाख 34 हजार गाड़िया गुजरती थीं। जिसके कारण यह कॉरिडोर वन्यजीवों के लिए अघोषित तौर पर प्रतिबंधित हो गया था।

चीला-मोतीचूर कॉरिडोर से हाथी, गुलदार और बाघ जैसे जानवर वन्यजीव हरिद्वार से शिवालिक के जंगल होते हुए कार्बेट की ओर आते-जाते थे। यहां तक की कभी-कभी वन्यजीव नेपाल तक चले जाते थे। लेकिन हाईवे होने के कारण यह आवाजाही बाधित हो गई थी। लेकिन फ्लाईओवर निर्माण के कारण इसी साल जनवरी में इस कॉरिडोर से हाथियों के गुजरने की तस्वीरें भी कैमरा ट्रैप में कैद हुई थीं।

इस मामले में उत्तराखंड चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन समीर सिन्हा की माने तो वन विभाग इस उपलब्धि से बेहद खुश है। अब पार्क के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में वन्यजीव आसानी से आवाजाही कर सकेंगे। लेकिन अभी इस कॉरिडोर के एक हिस्से में खांड़ गांव से लगते सेना के कुछ अधिष्ठान हैं, जिन्हें विस्थापित करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।

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