देश में बनी कोरोना वैक्सीन से जुड़ी अच्छी खबर आई है। हरियाण के रोहतक में पीजीआई में वॉलंटिअर्स के पहले ग्रुप को को-वैक्सिन की पहली डोज दी गई। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जिन तीन लोगों को डोज दी गई थी। उनमें कोई साइड इफेक्ट नहीं आया है। 18 से 55 साल की उम्र वाले स्वस्थ लोगों को यह वैक्सीन दो डोज में दी जानी है। फेज 1 ट्रायल में दूसरी डोज 14वें दिन पर दी जाएगी। टोटल 1,125 वॉलंटिअर्स पर इस वैक्सीन को आजमाया जाना है, जिनमें से 375 पहले फेज में शामिल होंगे और 750 दूसरे फेज में।
14 शहरों में ट्रायल
इस वैक्सीन का ट्रायल देश में अलग-अलग शहरों के 14 रिसर्च इंस्टीट्यूट में किया जा रहा है। इन शहरों में नई दिल्ली, रोहतक, हैदराबाद, विशाखापट्नम, पटना, कानपुर, गोरखपुर, भुवनेश्वर, चेन्नई और गोवा शामिल हैं। पटना एम्स में चार दिन पहले ट्रायल शुरू हो चुका है। शुरुआती डोज कम रहेगी। ट्रायल में यह देखा जाएगा कि वैक्सीन देने से किसी तरह का खतरा तो नहीं है, उसके साइड इफेक्ट क्या हैं। कोविड-19 के अलावा लिवर और फेफड़ों पर कैसा असर हो रहा है, यह भी जांच की जाएगी। इसीलिए पहले फेज को श्सेफ्टी एंड स्क्रीनिंग कहा गया है।
हर डेटा पर आईसीएमआर की नजर
आईसीएमआर ने उन्हीं इंस्टीट्यूट को चुना है जहां पर क्लिनिकल फार्माकॉलजी विंग है और ह्यूमन ट्रायल में एक्सपीरिएंस वाले हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स हैं। ट्रायल में जल्दबाजी नहीं की जा सकती। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वैक्सीन इंसानों पर इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है। ट्रायल की सारी डिटेल्स आईसीएमआर को भेजी जाएंगी। वहीं डेटा एनलाइज किया जा रहा है।
इतना समय लगेगा
क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री पर मौजूद प्रोटोकॉल के अनुसार, पहले फेज में कम से कम एक महीना लगेगा। उससे मिले डेटा को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के सामने पेश करना होगा फिर अगली स्टेज की परमिशन मिलेगी। फेज 1 और 2 में कुल मिलाकर एक साल और तीन महीने का वक्त लग सकता है।