देहरादून (मनीष डंगवाल): चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है। यात्रा के दौरान गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस भी तीर्थ यात्रियों से इस दौरान फुल रहते हैं। आमतौर पर जीएमवीन के गेस्ट हाउसों में भी सामान्य खाना ही मिलता है, लेकिन इस बार बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को जीएमवीएन के गेस्ट हाउसों में कोदे की रोटी और झंगोरी की खीर भी खाने को मिलेगी। इससे जहां तीर्थ यात्री अलग तरह का खाना खा पाएंगे। वहीं, पहाड़ी व्यजनों से स्वास्थ्य लाभ भी ले पाएंगे।
उत्तराखंड चारधाम यात्रा में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस बार चारधाम यात्रा में देश-विदेश से आ रहे यात्री, पहाड़ी व्यजनों का स्वाद चख सकेंगे। राज्य सरकार ने पर्यटन के साथ ही स्थानीय व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए जीएमवीएन के सभी गेस्ट हॉउसों में पहाड़ी व्यंजनों को बनाना अनिवार्य कर दिया है। प्रत्येक दिन 2 से 3 डिश पहाड़ी व्यंजनों के बनाये जायेंगे। हालांकि चारधाम यात्रा में गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउसों की अहम भूमिका रहती है। क्योंकि ज्यादा-ज्यादा से यात्री जीएमवीएन गेस्ट हाउस में ठहरते हैं।
पिछले लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह से पहाड़ी व्यंजनों से जोड़ा जाए, ताकि पहाड़ के खान-पान का स्वाद देश-दुनिया के लोगों तक पहुंचे। इससे स्थानीय लोगों को भी अच्छा खासा रोजगार मिल सकेगा। लिहाजा राज्य सरकार ने पिछले साल महिला समूह और दूसरे एनजीओ के माध्यम से चैलाई के लड्डू बनाकर प्रसाद के रूप में भक्तों को दिए जाने की शुरुवात की थी। मंदिरों के बाहर लग रही दुकानों में भी पहाड़ी व्यंजनों से बने प्रसाद श्रद्धालु भगवान को अर्पित करने के लिए भी खरीद रहे थे। सरकार की इस पहल से कई लोगों फायदा पहुंचा। पहाड़ी व्यंजनों से बनाये गए प्रसाद की जमकर सराहना भी हुई थी।
आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल उत्तराखंड में लाखों श्रद्धालू धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों पर दर्शन करने व घूमने आते हैं। राज्य सरकार के पास जो आंकड़ा है, वह बताता है कि लगभग एक करोड़ श्रद्धालु उत्तराखंड में भगवान की भक्ति और मंदिरों के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अगर एक करोड़ श्रद्धालुओं में से भी कुछ लाख श्रद्धालु ही पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखते हैं, तो उसका लाभ कई लोगों को मिलेगा। साथ ही स्थानीय उत्पदों के जरिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि पिछले साल जो प्रसाद को लेकर काम किया गया था। उसकी काफी सराहना हुई है, क्योंकि चारधाम यात्रा में जो स्थानीय प्रसाद बनते हैं। वह चैलाई के लड्डू और बाकी प्रसाद सभी स्थानीय उत्पादों से बनाया जाता है। प्रसाद स्थानीय समूहों के द्वारा बनाया जाता है। जीएमवीएन की पहले कारगर होती है, तो इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा ही। साथ ही दम तोड़ती खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।