चमोली : कोरोना के कहर के बीच देहरादून के आईएमए में पासिंग आउट परेड हुई। देश को आज 333 सैन्य अधिकारी मिले जो की देश की रक्षा करेंगे। विदेशी कैडेट्स मिलाकर कुल 423 कैडेट्स ने कदमताल किया। इस दौरान सभी कैडेट्स मास्क लगाकर कदमताल करते दिखे साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा गया।
अपने परिवार में पहले सैन्य अधिकारी बने धर्मवीर
वहीं ये परेड उत्तराखंड के लिए हर बार की तरह गौरवशाली रही है। जी हां उत्तराखंड ने देश को 31 अधिकारी दिए जिसमे जनपद चमोली के बेटे धर्मवीर सिंह बिष्ट भी शामिल हैं। खास बात ये है कि धर्मवीर बिष्ट के पिता डाक सेवक हैं जिन्होंने इसी नौकरी की बदौलत बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया। बता दें कि धर्मवीर बिष्ट को सेना के इंजीनियरिंग कोर मेेंं लेफ्टिनेंट पद पर तैनाती पाई है। धर्मवीर के परिवार की पृष्ठभूमि सेना की रही है। लेकिन वह अपने परिवार में पहले सैन्य अधिकारी बने हैं।
गांव में पले-बढ़े, पढाई भी गांव से की
बता दें कि धर्मवीर बिष्ट चमोली के थराली विकास खंड स्थित तलवाड़ी स्टेट ग्राम पंचायत के जुखानी गांव निवासी हैं जिनके पिता बलवीर सिंह बिष्ट लंबे समय तक परिचालक के रुप में परिवार की आजीविका चलाते रहे और मां पार्वती देवी गृहणी है। वहीं धर्मवीर की पत्नी उद्यान विभाग में सेवारत हैं। धर्मवीर बिष्ट का जन्म 30 जून 1992 को हुआ। जन्म से ही मैधावी धर्मवीर ने रा.प्रा.वि तलवाड़ी से पढ़ाई की। साल 2007 में हाईस्कूल व 2009 में इंटरमीडिएट की परीक्षा जीआईसी तलवाड़ी से प्रथम श्रेणी में पास की।
2010 में वायुसेना में हुए थे भर्ती
जानकारी मिली कि धर्मवीर बिष्ट साल 2010 में वायुसेना में वायु सैनिक के रुप में भर्ती हुए। सेना में रहते हुए उन्होंने पंजाब तकनीकी विवि से 2014 बीएससी आईटी और जेएनयू से वर्ष 2019 में बीएससी प्रथम श्रेणी में पास की। वर्ष 2016 में कैडेट परीक्षा पास कर आर्मी कैडेट कॉलेज विंग में कैडेट के रुप में ज्वाइन किया।
कड़ी मेहनत से धर्मवीर सैनिक से सैन्य अधिकारी बने। धर्मवीर ने बताया कि परिवार में देश सेवा का जज्बा मेरे सपनों का आधार है लेकिन सफलता में परिवार, शिक्षकों व मित्रों का अहम सहयोग रहा है। उन्होंने कहा कि कभी न हार मानने वाले आत्मविश्वास, कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।