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उम्मीदों का समिट: धामी इस आरंभ को जारी रख पाए तो इतिहास पुरुष बनेंगे

Reporter Khabar Uttarakhand
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देहरादून में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (Global Investors Summit) इस बार कई मायनों में खास रहा। हालांकि 2018 में हुए ऐसे ही इंवेस्टर्स समिट से तुलना करने की कोई लाजमी वजह नहीं हो सकती है लेकिन लगता है कि इस बार पिछली बार की गलतियों से सीख ले ली गई थी।

इकोनॉमी की रफ्तार होगी तेज

इंवेस्टर्स समिट के दौरान तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक के एमओयू हो जाना निवेश के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। अगर पच्चीस फीसदी भी निवेश धरातल पर उतरा तो ये भी उपलब्धि मानी जानी चाहिए। इस बार के इंवेस्टर्स समिट में एमओयू की ग्राउंडिंग पर सीएम धामी का खास फोकस दिखा। जब आप एमओयू और ग्राउंडिंग की बात करते हैं तो सरकारी आंकड़ों में लगभर 40 हजार करोड़ के आसपास के एमओयू धरातल पर हैं। राज्य सरकार का एक साल का कुल बजट 60 हजार करोड़ के आसपास पहुंच रहा है। ऐसे में अगर 40 करोड़ का निवेश आ जाता है तो आप उत्तराखंड की इकोनॉमी की रफ्तार का अंदाज लगा सकते हैं।

दिखी सामूहिक जिम्मेदारी

मौजूदा इंवेस्टर्स समिट में सरकारी विभागों की सामूहिक भागीदारी ने भी रंग जमाया है। बजाए इसके कि ये किसी एक विभाग या कुछ खास अफसरों का समिट हो ऐसा लगता है कि इस बार सभी विभागों ने सामूहिक जिम्मेदारी समझ इस इंवेस्टर्स समिट को सफल बनाने की कोशिश की है।

मिल सकती है पहाड़ के अनुकूल अर्थव्यवस्था

उत्तराखंड के पहाड़ों में कच्चे माल की कमी और आवागमन में लगने वाला समय और खर्च कारोबारी घरानों के कदम खींच कर रखता है। हालांकि इस बार मानों सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए अपना अप्रोच बदला था। कोशिश हुई कि ऐसे क्षेत्र जो उत्तराखंड की प्रकृति के अनूकुल हों उन्हें अधिक बढ़ावा दिया जाए। इसी का नतीजा रहा कि हेल्थ और वेलनेस जैसे सेगमेंट्स पर अच्छी चर्चा हुई। फिर पीएम मोदी का उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर आह्वान कर राज्य के सामने एक नई राह खोल दी है। होमस्टे और वेडिंग डेस्टिनेशन का साझा उद्योग न सिर्फ पहाड़ी राज्य को नई दिशा दे सकता है बल्कि यहां के वातावरण को भी बचाने में मददगार रहेगा।   

खूब दौड़ा डबल इंजन

राजनीतिक लिहाज से देखें तो एक बात साफ हो जाती है कि इस समिट में डबल इंजन पूरी तेजी से दौड़ा। पहले पीएम मोदी और बाद में गृह मंत्री अमित शाह की शाबाशी सीएम धामी के लिए अहम तो होगी ही उस राज्य के लिए भी अहम है जो केंद्रीय मदद के बिना अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टस को आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना करता है। जाहिर है कि अगर केंद्र से अच्छी ट्यूनिंग बनी रही तो राज्य में इंफ्रास्टक्चर मजबूत होगा और निवेशकों को और बेहतर माहौल मिलेगा।

इतिहास में दर्ज कराएंगे नाम

सूबे में निवेश और विकास की बात होती है तो उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का नाम निर्विवाद तरीके से लिया जाता है। एनडी तिवारी के बाद विकास की कोशिशें भर हुईं और ऐसे में कई मुख्यमंत्री कतार में आ गए लेकिन अगर धामी मौजूदा लय को बनाए रख पाए तो बहुत हद तक संभव है कि एनडी तिवारी के ही समकक्ष पुष्कर सिंह धामी का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो।  

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