अल्मोड़ा- यूं तो सहूलियतों की किल्लत ने पहाड़ों के गांवो को इंसानी आबादी से कंगाल बना दिया है। बावजूद इसके जो अपने पुरखों की विरासत को सहेजे हुए गांव में टिक कर जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। उनको सरकारी महकमों का काहिलपना गांव में रहने नहीं देता। आलम ये है कि सरकारी विभाग अपने करार पर कायम नहीं रहते। नतीजतन जनता को अपनी ऊर्जा आंदोलनों पर जाया करनी पड़ती है।
अल्मोड़ा जिले में द्वाराहाट के ईडा इलाके मे जल संस्थान महकमें की काहिली देखिए, बीते साल 15 दिसंबर को महकमे ने स्थानीय जनता से वादा किया कि जनता अपना आंदोलन खत्म कर दे पानी की किल्लत हमेॆशा के लिए दूर कर दी जाएगी। बावजूद इसके आलम ये है कि ईडा की जनता पानी के लिए फिर से आंदोलन कर रही है। डेढ माह बाद दूसरा साल शुरू हो जाएगा लेकिन ईडा की जनता से किया विभाग का वादा पूरा नहीं हुआ। लंबे अरसे से पानी के लिए तरसते ईडा की जनता सर्दी में भी पानी-पानी पुकार रही है।
गुस्साए ग्रामीणों ने समुचित पेयजल की मांग को लेकर फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है। स्थानीय देवी मंदिर के समीप धरना दे रहे ग्रामीणों ने जल संस्थान के अधिकारिय़ों को सूचना दी ,लेकिन महकमें ने आंदोलन को कोई तरजीह नहीं दी। नतीजतन ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन का ऐलान करते हुए धरना देना शुरू कर दिया।