चंपावत : उत्तराखंड राज्य बने 18 साल से अधिक हो गए हैं लेकिन उत्तराखंड में कई ऐसे गांव, कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोगों ने सड़कें तक नहीं देखी और कहीं तो बस को देखने पर बच्चे ऐसे खुश हुए जैसे कोई विचित्र प्राणी देख लिया हो.
लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान
वहीं बात करें चुनाव की और सरकार की तो…अधिकतर चुनाव के दौरान ही नेता गण वोट गांव में वोट मांगने के लिए आते हैं औऱ उसके बाद गायब से हो जाते हैं. इन दिनों उत्तराखंड में चुनाव का माहौल है. प्रत्याशी वोट मांगने में व्यसत है तो वहीं दूसरी ओर चंपावत जिले के मुख्यालय से 20किलोमीटर दूर भंडारबोरा, रौ कुंवर, विलडेही, वरनौला और पाली कंजागल गांव के लोगों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है.
कई सालों से सड़कें नहीं हुई नसीब
जी हां स्थानीय लोगों ने वोट का बहिष्कार करने का ऐलान किया है क्यों कि लोगों को सालों से सड़के नसीब नहीं हुई. अगर कोई बीमार हो जाए तो पालकी में उठाकर मरीज को कई किलोमीटर दूर अस्पताल में ले जाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि सरकार और केन्द्र सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है और चुनाव के समय ही नजर आते हैं.
आप लोग गाड़ी में बैठकर हमारे गांव आए तभी हम लोग वोट देंगे
स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर चुनाव का बहिष्कार करते हुए सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. एक पोस्टर को लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है जिसमें साफ लिखा गया है कि आप लोग गाड़ी में बैठकर हमारे गांव आए तभी हम लोग वोट देंगे. दरअसल सड़क न होने के कारण लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए ये बोलना चाहा कि अगर नेता लोग अपनी गाड़ी से उनके गांव आएंगे तब उन्हें पता चलेगा की गांव के लोगों की क्या दुर्दशा है.
दी चेतावनी- चुनाव से पहले अगर सड़क नहीं पहुंचे तो…
आपको बता दें कुमाऊं के चम्पावत जिला मुख्यालय से मात्र 20 km दूर आज भी भंडारबोरा, रौ कुँवर, विलडेही, वरनौली और पाली कंजागल गॉंव में सड़क नहीं पहुंच पायी है। गाँव में न ही कोई चिकित्सा केंद्र है। सड़क के आभाव में डोली बनाकर मरीज को कंधो पर ३ km की खड़ी चढ़ाई से नजदीकी सड़क तक लाया जाता है। स्थानीय ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के माध्यम से शासन प्रशासन को भी चेतावनी दी है कि चुनाव से पहले अगर सड़क नहीं पहुंचे तो हम लोग इसका बहिष्कार करेंगे। इस बार ग्राम वासियों ने लोक सभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है और इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया .