सीएम व स्वास्थ्य मंत्री के आदेश ठेंगे पर
देहरादून,संवाददाता- नोटबंदी के बाद तमाम समस्याओं को देखते हुए सूबे की सरकार ने जनता को राहत देने की कोशिश की लेकिन सीएम के आदेश दून अस्पताल के हाकिमों के ठेंगे पर हैं। दरअसल नोटबंदी के बाद मरीजों की तकलीफों को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ऐलान किया था कि जब तक कैश की समस्या ठीक नहीं हो जाती तब तक दून अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को जांच के लिए कोई भुगतान नहीं करना पडेगा। जबकि हकीकत इससे उलट है। हाल ये है कि दून अस्पताल में मरीजों को सीएम की घोषणा के मुताबिक कोई लाभ नहीं मिल रहा है। दून अस्पताल के अधिकारियों के इस रवैए से सूबे के चिकित्सा मंत्री भी नाराज हैं । दून अस्पताल के सीएमएस
के.के. टम्टा कहते हैं कि इस बारे में शासन से कोई आदेश अब तक नहीं मिला है। लिहाजा
मरीजों को मुफ्त सहूलियत मुहैया नहीं करवाई जा सकती। जबकि चिकित्सा मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि जल्द ही दून अस्पताल प्रशासन को शासनादेश जारी करवा दिए जाएंगे। बड़ा सवाल ये है कि सूबे में सीएम के आदेशों की नौकरशाह परवाह नहीं करते या मंत्री महोदय की स्वास्थ्य महकमे पर कोई पकड़ नही है या फिर आदेश और कार्यवाही के बीच सामंजस्य की कमी है। खैर जो भी हो सच ये है कि दून अस्पताल में मरीजों की फजीहत हो रही है। नोट मरीजों के पास हैं नहीं और अस्पताल के कारिंदे मरीजों की जांच मुफ्त में करृने को तैयार नहीं है।
… इसलिए टम्टा ने किए हाथ खड़े
पुरानी कहावत है दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। दरअसल महालेखा नियंत्रक की ऑडिट रिपोर्ट ने इस ऐलान से पहले अस्पताल में फ्री सेवा को कटघरे में खड़ा किया था। महालेखा नियंत्रक ने ऐतराज जताते हुए कहा था कि दून अस्पताल में मुफ्त इलाज की जो सहूलियत दी जा रही है वो मानको के अनुरूप नहीं है। महालेखा ने कहा कि दून अस्पताल की फ्री सेवाओं से राज्य सरकार को 48 लाख से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। जबकि अस्पताल के सीएमएस डा टम्टा की माने तो उन्होंने महालेखा नियत्रक के सामने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि राज्य में बीपीएल परिवार पत्रकार, राज्य आंदोलनकारी व आकस्मिक सड़क दुर्घटना के मरीजों का इलाज फ्री किया जाता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी बेहद गरीब के इलाज की इजाजत देते हैं। बावजूद इसके महालेखा नियत्रक ने कहा कि अस्पातल प्रशासन ने फ्री सेवा से 25 लाख से ज्यादा का नुकसान सरकार को दिया है। इस घटनाक्रम के बाद दून अस्पताल के सीएमएस टम्टा फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। इस बाबत फ्री जांच के मुद्दे पर पूछे जाने पर सीएमएस टम्टा का कहना है कि नोटबंदी के चलते मरीजों के फ्री जांचों के बाबत उनके पास कोई शासनादेश नहीं आया है। जीओ आए बगैर फ्री इलाज संभव नहीं है।