देहरादून- अगर आम आदमी होते तो बिजली विभाग का दिहाड़ी वाला लाइनमैन दूसरे बिल पेंडिंग होने पर मकान में रहने वालों को अंधेरे में रहने के लिए मजबूर कर देता,लेकिन वो खास हैं इसलिए महकमे के हाकिम को भी आज तक कुछ कहने की हिम्मत नही पड़ी। अब जब हाईकोर्ट ने फरमान सुना दिया कि सरकारी आवास खाली करने होंगे तब जाकर महकमे की भी हिम्मत बंधी है गिड़गिड़ाने की, कि हजूर हमारा भी बिजली का बिल बकाया है, चुका देते तो कुछ भला हो जाता । ताज्जुब की बात तो ये है कि 60 लाख की बड़ी रकम बकाया होने के बावजूद ऊर्जा निगम न तो पूर्व मुखियाओं के आवासों का कनेक्शन काट पाया न नोटिस देने की हिम्मत बटोर पाया। हालांकि बिल राज्य संपत्ति विभाग को जमा करना था। जी हां आप यकीन करो या न करो राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्री बिजली महकमे के बकाएदारों की सूची में शामिल हैं और चारों ने 60 लाख रूपए से ज्यादा का बिजली बिल भुगतान करना है। इनमें तीन भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं जबकि एक कांग्रेस के। पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले खाली करने की आखिरी तारीख हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर मुकर्रर की है। अब जाकर ऊर्जा निगम को अपने बकाए की याद आई है। बहरहाल आवंटित आवासों से आज तक महकमा चवन्नी भी वसूल नहीं कर पाया। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी कैंट रोड़ आवास का बिजली बिल 10 लाख 79 हजार है तो वहीं बी.सी खंडूड़ी को आवंटित यमुना कलोनी के आवास का बिल 4 लाख 56 हजार है। पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को आवंटित आवास एफ.आर.आई. कैंपस का बिल 13 लाख 63 हजार का है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को आवंटित दोनों आवास यमुना कालोनी का 3 लाख 18 हजार और एनेक्सी का बिल 27 लाख 34 हजार पहंच चुका है। ऊर्जा निगम के प्रवक्ता और निदेशक मानव संसाधन पीसी ध्यानी की माने तो निगम ने राज्य संपत्ति विभाग को बिजली बिल बकाये के भुगतान के लिए पत्र भेजा है और जल्द बिल जमा करवाने का अनुरोध भी किया है। इतना ही नही महकमे की माने तो बिल बकाया भुगतान के मामले को शासन के सामने भी रखा जाएगा।