केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक रिसर्च पेपर का प्रजेंटेशन करते सरकार के ऊपर कई सवाल किए और अर्थव्यवस्था की हालत को बदतर बताया. उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से दोहरे बैलेंस शीट के संकट से जूझ रही है जिससे बड़ी मंदी आने के आसार हैं. कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है.
ये भूकंप जैसा संकट
सुब्रमण्यन ने कहा कि यह सामान्य मंदी नहीं है, बल्कि इसे भारत की बड़ी मंदी कहना उचित होगा, जहां अर्थव्यवस्था के गहन देखभाल की जरूरत है। ये भूकंप जैसा संकट है. 2017-18 तक रियल स्टेट सेक्टर के 5,00,000 करोड़ रुपये के लोन में एनबीएफसी कंपनियों का हिस्सा है।यह संकट निजी कॉरपोरेट कंपनियों की वजह से आया है.
2014 को दी थी चेतावनी
नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि दिसंबर 2014 में दोहरे बैलंस शीट की समस्या उठाई थी, जिसमें निजी उद्योगपतियों द्वारा लिए गए कर्ज बैंकों के गैर-निष्पादित संपत्ति बन रहे थे. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के भारतीय कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेमैन के साथ मिलकर लिखे गए अपने नए पेपर में सुब्रमण्यन ने पहले और दूसरे दोहरे बैलेंस शीट में अंतर को बताया है. सुब्रमण्यन फिलहाल हॉवर्ड केनेडी स्कूल में पढ़ाते हैं.
सुब्रमण्यन ने कहा कि पद पर रहते हुए 2014 में भी सरकार को टीबीएस को लेकर के चेतावनी दी थी, लेकिन उनकी सुनी नहीं गई। पहले चरण में बैंकों को एनपीए बढ़ने से मुश्किलें हुई थीं, वहीं अब दूसरे चरण में नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और रिएल एस्टेट फर्मों के नकदी संकट से है।पिछले साल सितंबर में सामने आया आईएलएंडएफएस का संकट भूकंप जैसी घटना थी। सिर्फ इसलिए नहीं कि आईएलएंडएफएस पर 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज का खुलासा हुआ, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इससे बाजार प्रभावित हुआ और पूरे एनबीएफसी सेक्टर को लेकर सवाल खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में नकदी नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुए हैं और इस राशि का बड़ा हिस्सा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां को दिया है। इसके बाद एनबीएफसी ने इस राशी को रियल एस्टेट सेक्टर में खर्च किया है। साल 2017-18 तक रियल एस्टेट के पांच लाख करोड़ रुपये के बकाया अचल संपत्ति ऋण के आधे भाग के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जिम्मेदार थे।
पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व गवर्नर ने कही थी ये बात
वहीं इससे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले हफ्ते कहा था कि भाजपा सरकार नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी, कर आतंकवाद जैसी भयानक गलतियों का बचाव करने पर अड़ी हुई है. पिछले महीने ही आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने कहा था कि अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मौजूदा विकास दर से 2025 में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है.