रामनगर : हर वर्ष एक अक्टूबर से कोसी नदी और दाबका नदी में उपखनिजों के चुगान का कार्य शुरु किया जाता था लेकिन इस बार कोसी और दाबका नदियों से यह काम एक अक्टूबर से शुरु नहीं हो सकेगा। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस साल अभी तक मानसून थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते एक अक्टूबर से उपखनिज चुगान का कार्य शुरु नहीं किया जा सकता। मानसून की विदाई के बाद ही यह कार्य शुरु किया जा सकेगा। इसके साथ ही वन महकमा पहली बार अवैध खनन रोकने के लिए ड्रोन का प्रयोग करने जा रहा है। जिससे कि कोसी और दाबका में होने वाले अवैध खनन करने वाले वाहनों और ट्रांसपोर्टरो पर शिकंजा कसा जा सके।
कोसी नदी और दाबका नदी के सभी गेटों से लेकर नदियो के अन्दर उपखनिज चुगान करने वालों पर तीसरी आँख की पेनी नजर रहेगी। इस वर्ष अवैध उपखनिज पकड़े जाने पर चुगान करने वाले ट्रांसपोर्टरों को उपखनिज महंगा पड़ सकता है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि वन विभाग की तीसरी आँख कहाँ तक कारगर साबित होती है या फिर तीसरी आँख भी हवा-हवाई साबित होती है. यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि सरकारी तंत्र कितना उपयोगी साबित होता हे और सरकारी अधिकारियों के दावे कहाँ तक सटीक होते है।