सितारगंज के बाराकोली रेंज के गोठा ग्राम में लगातार वन विभाग की भूमि पर अबैध कब्जा हो रहा है। पेड़ों को काटकर अवैध कब्जा किया जा रहा है. सूत्रों की माने तो सारा काम सितारगंज वन विभाग की टीम की देखरेख में हो रहा है। क्षेत्रीय वन विभाग अवैध कब्जा हटाने में नाकामयाब साबित हो रहा है।
वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर फसल उगाने का काम
जहाँ एक उत्तराखंड सरकार वनों को बचाने में करोड़ो रूपये खर्च कर रही है. वहीं वन विभाग सरकार की मेहनत पर पानी फेरता दिखाई दे रहा है। जहां वन विभाग के फोरेस्ट कर्मचारी जमन नाथ यादव और गौरी शंकर यादव गोठा क्षेत्र में ड्यूटी होने के बावजूद भी ग्रामीण बेखौफ तरीके से पेड़ों को काट वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर फसल उगाने का काम कर रहे हैं। जबकि दोनों फोरेस्ट कर्मचारी घर गोठा ग्राम में ही मौजूद हैं लेकिन सारी सूचना होने के बाद भी कर्मचारी सूचना स्थानीय विभाग को कभी नहीं देते हैं। कर्मचारियों की मौजूद होने के बावजूद भी पेड़ों को काटकर फसल उगाने का काम किया जा रहा है।
बड़ा सवाल क्षेत्रीय विभाग को इसकी सूचना क्यों नहीं दी जा रही
लेकिन सवाल यह खड़ा होता है की यह दोनों कर्मचारी गोठा गांव के स्थाई निवासी होने के बावजूद सारी जानकारी है। लेकिन क्षेत्रीय विभाग को इसकी सूचना क्यों नहीं देते हैं। पहले तो ग्रामीण लोग पेड़ को सुखाते हैं और फिर उसको काटकर सफाया करते हैं और उस जगह पर फसल उगाने का काम होने लगता है।
सवाल यह खड़ा होता है की फसल कोई एक दिन मैं नही उगाई जा सकती है क्योंकि फसल को उगाने का भी एक समय चक्र होता है लेकिन फसल कभी भी रातों रात नहीं उगाई जा सकती. इसके बावजूद भी क्षेत्रीय वन विभाग पेड़ों को कटने से नहीं बचा पा रहा है।जबकि उसी गांव में 2 कर्मचारी स्थाई रूप से मौजूद हैं।
वन विभाग का काम करने का कुछ अलग ही अंदाज
जहां एक ओर वन विभाग को जंगल का रक्षक माना जाता है बही दूसरी ओर सितारगंज क्षेत्र के गोठा गांव में वन विभाग का काम कुछ और ही अंदाज में नजर आ रहा है. जहां वन विभाग वनों को काटने से बचाने के बजाए वन विभाग के कर्मचारी वन स्थानीय निवासियों से कटवा कर उस पर खेती करवाने में लगे हैं। ऐसा नहीं है की स्थानीय विभाग को इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी के बावजूद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
स्थानीय लोगों ने लगाया आरोप
अगर स्थानीय निवासियों की मानी जाए तो उनका कहना है यह जहां वन विभाग कि पेड़ों की पौध उगाई जाती थी वहां पर अब वन विभाग ने खुद अपने चहेतों को कब्जा करा दिया है और उस पर फसल उगाई जाने लगी है और साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि जिन कर्मचारियों को वन विभाग ने इस क्षेत्र की देखभाल के लिए रखा है वह खुद बन को काटकर खेती करने का काम शुरू करते है।