देहरादून-सूबे की भाजपा सरकार की नई शराब नीति अब गढ़वाल के नौजवानों की रगों को और नशीला बनाने की जुगत में है।
करिश्मा, गुलाब, रंगीली, करीना जैसी मसालेदार होने का दावा करने वाली देशी दारू अब अापको पौड़ी, चमोली, टिहरी उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में भी बिकती दिखे तो अचरज न कीजिएगा।
गजब की बात है एक और सरकार कहती है कि उसकी शराब नीति को व्यवसाय के नजरिए से न देखा जाए और दूसरी ओर उत्तराखंड के जिन जिलों में देशी शराब राज्य बनने से पहले से ही प्रतिबंधित है वहां बेचने का जुगाड़ ढूंड रही है।
नई शराब नीति के तहत अब तक प्रतिबंधित जिलों में आबकारी आयुक्त की इजाजत से ऐसी शराब की दुकान खोली जांएगी जहां विदेशी मदिरा के साथ देशी दारू भी बिकेगी। हालांकि शराब के धंधे पर आमादा सरकार का तर्क है कि मिश्रित दुकानों में बिकने वाली देशी दारू ग्रामीण इलाकों में बनने वाली कच्ची शराब पर लगाम लगाएगी। धन्य है सूबे की सरकार और उसके तर्क।