देहरादून : उत्तराखंड के निकाय में पहली बार नोटा यानी कोई भी प्रत्याशी वोटर को पंसद नहीं होगा तो वह मतपत्र में नोटा के सामने मुहर लगा सकता है,जिसे वोटर का वोट प्रत्याशियों की जीत हार के लिए काउंट होने की बजाय केवल नोटा के लिए काउंट होगा।
निकाय चुनाव में पहली बार वोटरों को प्राप्त होगा नोटा का भी अधिकार
उत्तराखंड के निकाय चुनाव में पहली बार वोटरों को नोटा का भी अधिकार प्राप्त होगा. जी हां अब तक उत्तराखंड के वोटरों ने ईवीएम मशीन में ही नोटा का आॅपसन देखा होगा और कुछ ने दबाया भी होगा, लेकिन मतपत्र में पहली बार वोटर को नोटा का भी ऑप्शन मिलेगा. यानी मतदाता को कोई प्रत्याशी उम्मीदवरों में पसंद नहीं आता है,तो वह नोटा के आप्सन के सामने मतपत्र पर मुहर लगा सकता है।
2017 में हुए विधान सभा चुनाव में 50,408 मतदाताओं ने किया था नोटा का इस्तेमाल
निकाय चुनाव में मतपत्र पर पर नोटा का आप्सन दिए जाने से प्रत्याशी के लिए कुछ हद तक चिंताए बढ़ गई है, क्योंकि 2017 में हुए विधान सभा चुनाव में उत्तराखंड के 50 हजार 408 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल कर दिखाया था कि उनकी पंसद के प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारें गए थे. लेकिन देहरादून मेयर के लिए भाजपा और कांग्रेस के मेयर पद प्रत्याशी मानते हैं कि नोटा का इस्तेमाल जरूर पहली निकाय चुनाव में हो रहा है. लेकिन वोटर उनकी पार्टी के निशान के सामने मुहर लगाएंगे।
कितने वोटर करते हैं निकाय चुनाव में नोटा का इस्तेमाल
स्थानीय निकाय चुनाव में नोटा का असर भले मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए संघर्ष एक-एक वोट को लेकर न दिखाए दें लेकिन पार्षद, सभासद के लिए एक-एक वोट के निए संघर्ष दिखाई देगा और नोटा का इस्तेमाल कई प्रत्याशी की जीत हार का भी कारण बन सकता है. ऐसे में देखना ये होगा कि आखिर कितने वोटर निकाय चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करते है।