देहरादून आईएम से आज देश की रक्षा के लिए 333 सैन्य अफसर तैयार हुए। कुल मिलाकर 423 जेंटलमैन कैडेट्स पास आउट हुए जिसमे से देश को 333 जेंटलमैन कैडेटस तो 90 कैडेट्स विदेशी कैडेटस पासआउट हुए। चीफ़ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे मुख्य अतिथि थे जिन्होंने में सलामी ली।
पहली बार हुआ ऐशा-नहीं हुई हेल्लीकॉप्टर से फूलों की बारिश
वहीं कोरोना के चलते आईएमए में बहुत कुछ पहली बार हुआ। इस बार की परेड सादगी के साथ हुई। सादगी के साथ आयोजित पासिंग आउट परेड में नए अधिकारियों के परिजन शामिल नहीं हो पाए. साथ ही न ही हेल्लीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई। माता-पिता बेटे की वर्दी पर सितारे नहीं लगा पाए।
पहली बार हुआ ऐसा- नए अधिकारियों को सीधे यूनिट में तैनाती
कोरोना के चलते ऐसा पहली बार हुआ जब पासिंग आउट परेड के बाद नए अधिकारियों को सीधे यूनिट में तैनाती दे दी जाएगी. इस बार हुई पासिंग आउट परेड में कैडेट्स मुंह पर मास्क लगाए नजर आए और मास्क लगातक कदमताल करते नजर आए। इस बार ट्रेंनिग में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया और पासिंग आउट परेड में भी।
आईएमए के 88 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ
आईएमए के 88 साल के इतिहास ऐसा पहली बार ऐसा हुआ कि कैडेट्स के परिजन पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हुए। बेटे के कंधे पर सितारे सजाने का सपना संजोए परिजनों का ये सपना कोरोना के चलते अधूरा रह गया। इस बार सैन्य अधिकारियों ने नए सैन्य अधिकारियों के कंधे पर सितारे सजाए।
1 अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ हुई थी आईएमए की स्थापना
आईएमए के 88 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब कैडेट की इस परेड में उनके माता-पिता शामिल नहीं हुए। एक अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ आईएमए की स्थापना हुई और 1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पास आउट हुआ।
पहली बार हुआ ऐसा- 0.5 मीटर की जगह 2 मीटर की दूरी
बता दें कि कदमताल के दौरान वैसे सैन्य अधिकारियों के बीच 0.5 मीटर की दूरी होती थी लेकिन कोरोना के कहर के चलते और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करते हुए इस बार जवानों के बीच की दूरी 2 मीटर थी। सब मास्क लगाए थे।
इन राज्यों से इतने कैडेट्स पास
देश की सेना को आज भारतीय सैन्य अकादमी पासिंग आउट परेड के साथ ही 333 जांबाज अधिकारी मिले. आज उत्तराखंड के 31, उत्तर प्रदेश के 66, बिहार के 31, हरियाणा के 39, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के 14-14, पंजाब के 25, महाराष्ट्र के 18 और मध्यप्रदेश के 13 युवा सेना में अधिकारी बने।