अगर बचपन में आपके टॉन्सिल भी हटाए जा चुके हैं, तो आपको यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और डेनमार्क की यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन में हुए अध्ययन में कहा गया है कि बचपन में टॉन्सिल निकलवाने का खामियाजा भावी जीवन में भुगतना पड़ सकता है। ऐसे बच्चों में आगे चलकर अस्थमा, फ्लू और निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं ने बच्चों में की जाने वाली कुछ बेहद साधारण सर्जरी के लंबे समय में प्रभाव पर अध्ययन किया। इस तरह का यह अध्ययन पहली बार किया गया है। एडेनॉएड्स और टॉन्सिल नाक व गले में स्थित होते हैं। यह सांस के रास्ते शरीर में दाखिल होने वाले बैक्टीरिया या वायरस संक्रमण से बचाव का पहला तंत्र होते हैं। यह संक्रमण को शरीर से बाहर निकालने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रेरित करते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता शॉन बाईआर्स ने कहा कि हमने 9 साल की उम्र में एडिनॉएड्स और टॉन्सिल को हटाने के खतरों के बारे में अध्ययन किया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस उम्र में प्रतिरोधक तंत्र विकसित हो रहा होता है और इस दौरान टिश्यू सबसे ज्यादा विकसित होते हैं। इस अध्ययन में हमने देखा कि टॉन्सिलेक्टोमी कराने वाले मरीजों में सांस लेने के रास्ते के ऊपरी हिस्से में बीमारी होने का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है। यह बीमारियां अस्थमा, फ्लू, निमोनिया या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसऑर्डर या सीओपीडी हो सकती हैं। इसके अलावा आंखों में संक्रमण, गंभीर ब्रॉन्काइटिस और एमफिसेमा बढ़ जाता है।