देहरादून- उत्तराखंड अलग राज्य बना था तो अवाम ने हिमाचल की समृद्धि को आंखों में भरा, उत्तराखंडी संस्कृति के सुनहरे दिनों की कल्पना की।
उसे उम्मीद थी कि जिन पहाड़ों की खुशहाली के लिए इस राज्य का ताना-बाना बुना गया है उस पहाड़ के अच्छे दिन आएंगे।
खेल खलिहान लहलहाएंगे, पलायन की पीड़ा के घावों का रिसना बंद हो जाएगा। अपने लोग सत्ता सिंहासन पर विराजमान होंगे तो पहाड़ के लिए अच्छे दिनों के लिए तदबीर लगाई जाएगी। लेकिन हुआ इसका उलट ! आज हालात ये हैं कि संविधान ने जो समानता का अधिकार दिया है उस पर सत्ता चोट कर रही है। सरकारों पर ये आरोप लगाए हैं पर्वतीय विकास मंच के अध्यक्ष विजय कुमार बौड़ाई ने
एक प्रेस वार्ता के जरिए बौड़ाई ने कहा आउटसोर्स से सरकार कई महकमों में नियुक्तियां कर रही है लेकिन सरकार का ये रास्ता सविंधान की धारा 16 पर चोट करता है। जिन की सत्ता पर पकड़ है उन लोगों को पिछले रास्ते से आउटसोर्स के बहाने नौकरियां दी जा रही हैं। सिर्फ अपने चहेतों को रोजगार की रेवड़ियां बांटी जा रही है।
जिसका पर्वतीय विकास मंच विरोध करता है। बौड़ाई ने कहा नियुक्तियां सेवा नियोजन महकमे के मार्फत ही पारदर्शिता के साथ दी जानी चाहिए ताकि योग्यों के साथ खिलवाड़ न हो। वहीं बौड़ाई ने कहा कि आने वाली 28 फरवरी को जारी सिस्टम के खिलाफ पर्वतीय विकास मंच धरना प्रदर्शन करेगा।