देहरादून- डबल इंजन की त्रिवेंद्र सरकार भले ही पहले दिन से यही कह रही है कि उनकी सरकार में सुई की नोक के बराबर पारदर्शिता बरती जाएगी,लेकिन लगता नहीं कि उस वादे पर त्रिवेंद्र सरकार खरी उतर रही है। जी हां तबादला कानून के तहत तबादले करने को लेकर जहां सरकार वाह-वाही लूट रही हो लेकिन उसी ताबदले की खुली धज्जिया भी इसी सरकार में उड़ रही है। देहरादून संभाग के आरटीओ सुधांशु गर्ग का तबादला पौड़ी संभाग और पौड़ी संभाग के आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई का ताबदला देहरादून संभाग किए जाने से स्पष्ट हो गया है कि कैसे ताबदला एक्ट का खुला उल्लघंन इसमें हुआ।
क्या कहता है तबादला एक्ट
तबदला एक्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि किसी कर्मचारी या अधिकारी को दुर्गम क्षेत्र में सेवा के एक ही स्थान पर तीन साल पूरे हो गए हों या सम्पूर्ण सेवा अवधि के 10 साल दुर्गम में सेवा के हो गए हों तभी उसका ताबदला किया जा सकता है।
आरटीओ रैंक के अधिकारियों का दुर्गम का रिकॉर्ड, आखिर पठोई ने कौन सा मंत्र मारा
वर्तमान में परिवहन विभाग में आरटीओं रैंक पर 4 अधिकारी तैनात है. जिनमें सुधांशू गर्ग जिनका तबादला देहरादून संभाग से पौड़ी किया गया है. वह सबसे ज्यादा दुर्गम में सेवाएं देने वाले आरटीओ है। सुधांश गर्ग 7 साल 4 महीने दुर्गम में रहे हैं और वहीं राजीव मेहरा जिनके पास अल्मोड़ा और हल्द्धानी का जार्च है उनकी दुर्गम में तैनाती 6 साल एक माह की है। एसके सिंह जो आरटीओ रैंक के अधिकारी है अभी वर्तमान में परिवहन आयुक्त कार्यलय में सहायक परिवहन आयुक्त के पद पर तैनात है उनकी दुर्गम की सेवा 5 वर्ष रही है। वहीं दिनेश चंद्र पठोई जो देहरादून संभाग के आरटीओ बनाएं गए हैं. आरटीओ रैंक में प्रमोशन होने के बाद दुर्गम में सेवा महज 2 साल 8 माह की रही है और सबसे कम साल दुर्गम में तैनाती के बाद सबसे सुगम माने जाने वाले देहरादून संभाग में तैनाती मिलना सबके मन में सवाल खड़े कर रही है कि आखिर दिनेश चंद्र पठोई ने डबल इंजन की सरकार पर कौन सा मंत्र मारा जो सबसे सुगम में तबादला एक्ट को दरकिनार कर तैनाती पा गए।
हस्तांतरण कमेटी की रिपोर्ट क्या कहती है?
तबादलों लिए परिवहन विभाग के लिए बनाई गई हस्तांतरण कमेटी की जो रिपोर्ट थी,उसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि कोई भी आरटीओं रैंक का अधिकारी इस साल तबादले कि लिए उपयुक्त नहीं पाया गया है।
सुधांशु गर्ग ने खबर उत्तराखंड से की बात, तबादला किए जाने से आहत
देहरादून संभाग से पौंडी संभाग में तबादला किए जाने से सुधांशु गर्ग बेहतद आहत हैं और वह परिवहन विभाग से न्याय की गुहार लगा रहे हैं. खबर उत्तराखंड से बात करते हुए सुधांशु गर्ग ने कहा कि यदि उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला तो वह इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे। सुधाशु गर्ग कहते हैं कि वह हर उस जिम्मेदारी पर सरकार की खरे उतरे हैं जो जिम्मेदारी सरकार ने उन्हे दी है और इससे पहले भी वह 7 साल पौंडी सम्भाग में सेवाएं दे चुके हैं। जहां तक उनके ताबदले को लेकर तर्क दिया जा रहा है कि वह देहरादून जनपद के निवासी हैं तो वह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वह केवल देहरादून के ही आरटीओ नहीं हैं. देहरादून संभाग में देहरादून के साथ हरिद्धार,उत्तरकाशी और टिहरी की जिम्मेदारी उनके उपर थी. वहीं जिनका तबादला देहरादून किया गया है वह भी मूल रूप से टिहरी के निवासी है और टिहरी जिला भी देहरादून संभाग में आता है।
यशपाल आर्य की नराजगी भी बनी वजह
सुधांशु गर्ग के ताबदले की वजह परिवहन मंत्री यशपाल आर्य की नाराजगी भी मानी जा रही है,सूत्रों की मानें तो यशपाल आर्य सुधांशु गर्ग की देहरादून में तैनाती हो लेकर बिल्कुल भी खुश नहीं थे. यही वजह है कि सुधांशु गर्ग की देहरादून से छुट्टी कर दी गई। वहीं जब पूरे मामले पर खबर उत्तराखंड ने परिवहन मंत्री यशपाल आर्य से बात की तो उन्होने कहा कि सुधांश गर्ग का तबादला मानकों के तहत हुआ है।
परिवहन सचिव के चहेते है सुधांशु गर्ग
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य जहां सुधांश गर्ग से बेहद नाराज थे. वहीं परिवहन सचिव डी सैंथिल पाण्डियन के सुधांशु गर्ग चहेते हैं और परिवहन सचिव बिल्कुल नहीं चाहते थे कि सुधांश गर्ग का तबादला हो. यहां तक कि सुधांश गर्ग के ताबदले की जो पटकथा उसकी फाइल भी परिवहन सचिव तक नहीं पहुंची।
इस पूरे खेल के पीछे भाजपा के एक मेयर पद के उम्मीदवार का हाथ
दरअसल खबर उत्तराखंड को अपने ख़ास सूत्रों से पता चला है की इस पूरे खेल के पीछे भाजपा के एक मेयर पद के उम्मीदवार जोकि टीएसआर के काफी नजदीक माने जाते हैं उन्होंने पूरे मामले की रूप रेखा रची और यही नहीं मेयर के चुनाव के लिए एक अटैची भी प्राप्त की दिनेश पठोई से और पूरा खेल रच डाला। पूरे खेल की हवा अब मीडिया में आते ही कानाफूसी का दौर शुरू हो चला है।
बहरहाल इसी बीच खबर ये है कि गृह जनपद के नाम पर हुए खेल के आधार पर सुधांशु गर्ग हाईकोर्ट जा रहे हैं, वहीँ अटैची प्राप्त कर चुके स्वय्मभू मेयर साहब अब सुधांशु के ऊपर दबाव बनवाने में जुटे हुए हैं।
ऐसे में सवाल ये उठता है की मुख्यमंत्री के करीब रहने वाले लोग जब जीरो टालरेन्स की धज्जियाँ उड़ाएंगे तो मुख्यमंत्री के जीरो टालरेन्स के दावे जमीन पर हवा हवाई ही नजर आयंगे, तो सी एम साहब आँखे खोलिये और इमेज बचाइये।