नगर निगम देहरादून के अभिलेखों से हर साल रहस्यमयी तरीके से पत्रावलियां गायब हो रही हैं। इसका खुलासा सूचना आयुक्त की सख्ती के बाद हुआ है। राज्य सूचना आयोग ने नगर निगम के अभिलेखों से पत्रावलियों के गुम होने को गंभीरता से लेते हुए तकरीबन छह महीने पहले नगर निगम के अभिलेखों से साल 2022 तक गायब पत्रावलियों का विवरण तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जिसके बाद खुलासा हुआ कि बीते बीस सालों में हजारों की संख्या में पत्रावलियां गायब हैं।
दून नगर निगम से गायब हो रहीं पत्रावलियां
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के निर्देश पर नगर निगम द्वारा छह माह में तैयार की गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि साल 1989 से 2022 तक नगर निगम अभिलेखों से 13 हजार 743 पत्रावलियां गायब हैं। राज्य सूचना आयुक्त ने इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियों के नगर निगम से गायब होने को गंभीरता से लेने की जरूरत बताते हुए संपूर्ण प्रकरण शासन को संदर्भित किया।
आयोग ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब होने के लिए कोई जवाबदेह नहीं है। आयोग ने आशंका जताई है कि पत्रावलियां गायब होने के पीछे कोई बड़ा राज है। जिसे गिरोहबंद अथवा सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। राज्य सूचना आयुक्त ने अपने निर्णय में मुख्य नगर आयुक्त देहरादून को गायब पत्रावलियों की स्थिति अद्यतन करते हुए नगर निगम मे अभिलेखों के रखरखाव और संरक्षण की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
तरुण गुप्ता की एक अपील पर दिए गए निर्देश
आयोग ने ये निर्देश तरुण गुप्ता की एक अपील पर दिए। जिसमें नगर निगम से संपत्ति नामांतरण संबंधी पत्रावली की मांग की गई थी। नगर निगम द्वारा ये पत्रावली उपलब्ध नहीं कराई गई और बताया कि पत्रावली गुम है। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए और पत्रावली न मिलने की अन्य अपीलों का संज्ञान लेते हुए नगर निगम को अभिलेखों से गायब पत्रावलियों का विवरण तैयार करने के निर्देश दिए। जिसके बाद रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि एक नहीं बल्कि हजारों पत्रावलियां गायब हैं।
सुनवाई के दौरान प्राप्त गायब पत्रावलियों की अंतरिम सूची का अंतिम सूची के साथ मिलान करने पर बड़ा अंतर सामने आया है। पूर्व में प्रेषित अंतरिम सूची में वर्ष 2014-15 तक 15,009 पत्रावलियां अनुपलब्ध होने की जानकारी दी गयी थी। जबकि अंतिम सूची में वर्ष 2021-22 तक कुल 13,743 पत्रावलियां गायब होना दर्शाया गया है।
13 हजार से ज्यादा पत्रावलियां गायब
नगर निगम के बीते ढाई दशकों के अभिलेखों में से 13743 पत्रावलीयां गायब हैं। आयोग के निर्देश पर गायब पत्रावलियों का क्रमांकवार विवरण तैयार हो गया है। जिसकी प्रति सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम देहरादून द्वारा आयोग को भी उपलब्ध कराई गई है। नगर निगम में बीते ढाई दशक में अभिलेखों से गायब हुई 13743 पत्रावलियों की जवाबदेही किसी की भी निर्धारित नहीं है। नगर निगम अभिलेखागार से 13743 पत्रावलियों का गायब होना एक अधिकारिक आंकड़ा है और आंकड़े को लेकर अब कोई संदेह नहीं है।
खुद निगम के अधिकारियों का कहना है कि ये अंतिम आंकड़ा है और इसमें पांच फीसदी से अधिक अंतर की संभावना नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में नगर निगम से पत्रावलियां गायब होना और इसके लिए किसी का जवाबदेह ना होना अत्यंत आश्चर्यजनक है। गायब पत्रावलियों की बड़ी संख्या नगर निगम देहरादून की साख पर सवाल है। ये चिंताजनक है कि प्रदेश के सबसे बड़े निगम में अभिलेखों की सुरक्षा नहीं है। बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब हैं लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है। सूचना अधिकार अधिनियम नहीं होता तो ये खुलासा होता ही नहीं कि नगर निगम अभिलेखागार से बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब हैं।
पत्रावलियों के रख-रखाव की व्यवस्था दुरुस्त नहीं
सालों से नगर निगम देहरादून में पत्रावलियों के गायब होने का सिलसिला चला आ रहा है। लेकिन पत्रावलियों और अभिलेखों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कोई जवाबदेह व्यवस्था निर्धारित नहीं की गई। सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत वांछित अधिकांश पत्रावलियों का निगम में अनुपलब्ध होना इसका संकेत है कि नगर निगम देहरादून के अंदरूनी हालात सही नहीं हैं। सवाल ये उठता है कि नगर निगम देहरादून में क्या चल रहा है? क्यों गायब हो रही है नगर निगम देहरादून से पत्रावलियां? क्या है पत्रावलियों के गायब होने का सच?
नगर निगम देहरादून के अभिलेखों से बड़ी संख्या में पत्रावलियों का गायब होना अत्यंत गंभीर एवं चिंताजनक है। पत्रावलियों का गायब होना एक राज बना हुआ है। आश्चर्य ये है कि पत्रावलियां गायब होने के लिए कोई जवाबदेह नहीं है ऐसे में आशंका ये है कि पत्रावलियों को गायब करने के खेल को सुनियोजित और गिरोहबंद तरीके से अंजाम दिया जा रहा हा हो।