मध्यप्रदेश: लोकसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार पर खतरा मंडराने लगा था। भाजपा ने राज्यपाल से मुलाकात कर विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। जिसके बाद कहा जा रहा था कि भाजपा कोई बड़ा गेम खेल सकती है। कांग्रेस ने भी आरोप लगाए थे कि भाजपा उनकी सरकार गिराने के लिए विधायकों को करोड़ों का आफर दे रही है। आशंकाओं के बीच सीएम कमलनाथ ने अब विधायकों को चौकीदार बना दिया है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में विधायकों को नई जिम्मेदारी सौंपी है। इस जिम्मेदारी के तहत मंत्री पांच-पांच विधायकों पर नजर रखेंगे और उनसे लगातार संवाद भी करेंगे। कमलनाथ ने निर्दलीय विधायकों से खुद चर्चा करने का फैसला लिया है। कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य के हालातों पर दो बार मंथन किया। राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडलों में नियुक्तियों पर भी सरकार जल्द फैसला लेगी।
चर्चा है कि मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही सरकार में जगह न पाने वाले पार्टी के वरिष्ठ विधायक और बाहर से सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों की नाराजगी समय-समय पर सामने आती रही है। बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा और सपा के राजेश शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है। मंत्रिमंडल में छह विधायक और शामिल किए जा सकते हैं। लिस्ट लंबी है और कमलनाथ के लिए चुनौतियां कम नहीं हुई है।