क्या इंसानियत नाम की कोई चीज दुनिया में है और है तो क्या वो जिंदा है किसी के अंदर. कई लोग कहेंगे हां कई इंसानों में इंसानियत आज भी जिंदा है लेकिन इस खबर को पढ़कर औऱ तस्वीर देखकर ये बात झूठी लगती है.
बच्चे के शव को कंधे में लिए घूमता रहा पिता
मामला यूपी के जिला अस्पताल का है औऱ बुधवार की बात है. जहां जिला अस्पताल वालों का अमानवीय चेहरा सामने आया. तस्वीर देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एक पिता अपने बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए कई घंटों तक बच्चे को कंधे पर लिए घूमता रहा लेकिन किसी की इंसानियत नहीं जागी औऱ न किसी को तरस आया. कई घंटे बीतने के बाद अस्पताल वालों ने उसके बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर दिया.
दरअसल नीमगांव थाना क्षेत्र के ग्राम रमुआपुर निवासी दिनेशचंद के 4 साल के बेटे दिव्यांशु को बुखार था जिसके बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार को उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत की सूचना के बाद पिता बेहाल हो गया। अस्पताल में उसे बताया गया कि बच्चे का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना होगा। इसपर दिनेशचंद परेशान हो गया। बेटे के गम ने उसे पहले ही तोड़ दिया था और अब अस्पताल के फरमान के कारण उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। वह बच्चे के शव को कंधे पर लेकर अस्पताल के चक्कर काटता रहा। वह लोगों से मदद भी मांगता रहा।
पिता को कभी अस्पताल के इस काउंटर पर जाता तो कभी उस काउंटर पर
एक पिता आंखों में आंसू लिए प्रमाण पत्र बनाने के लिए भटकता रहा. जिस किसी ने उसे देखा उनका भी दिल सहम गया लेकिन अस्पताल प्रबंधन का दिल नहीं सहमा. पिता को कभी अस्पताल के इस काउंटर पर जाता तो कभी उस काउंटर पर। चक्कर लगाते-लगाते मृतक बच्चे का पिता थक गया था और काफी देर बाद जिला अस्पताल में उसके बेटे का मृत्य प्रमाणपत्र बनाया। तब जाकर वह बेटे का शव लेकर जा पाया।
वहीं दूसरी ओर इस मामले में सीएमएस डॉ. आरके वर्मा का कहना है कि मरीज की मौत के बाद उसका प्रमाणपत्र जारी हो जाता है। ऐसी कोई परेशानी नहीं होती।