उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में किच्छा निवासी आईटीबीपी जवान जमीर अहमद (54) की चीन सीमा से सटे डोकलाम में शहीद हो गए। बीमारी के चलते शनिवार को उनकी मौत हो गई। बता दें कि सोमवार रात उनका पार्थिव शरीर उनके घर किच्छा लाया गया। घर में कोहराम मच गया। लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोगों ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी और देर रात पूरे सम्मान के साथ जवान को शव सुपुर्दे खाक किया गया। पूरे क्षेत्र में माहौल गमनीन रहा। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
वहीं जब शहीद की शहादत की खबर घर पहुंची तो घर में चीख पुकार मच गई। आस पड़ोस के लोग सांत्वना देने पहुंचे। शहीद जवान जामीर अहमद के बेटे सनाउल मुस्तफा ने बताया कि उनके पिता 12 दिसंबर 2019 को ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे और तब से वे वहीं तैनात थे। उनसे फोन पर हर दूसरे-तीसरे दिन बात होती थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी ड्यूटी कहीं ऊंची पहाड़ियों पर लगी थी, जिसके कारण उनसे संपर्क कम हो गया था। बीते शनिवार को सुबह उन्हें आईटीबीपी के अधिकारी का फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके पिता की अचानक तबीयत खराब हो गई थी, जिस पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
बता दें कि बीती रात ताबूत औऱ तिरंगे में लिपटे पहुंचे पिता को देख शहीद के बेटे और बेटी समेत लोगों की चीख पुकार मच गई। शहीद जवान जमीर अहमद की बेटी ने हौंसला दिखाते हुए सोमवार को दिन में सूरजमल कॉलेज में बीएड फाइनल की परीक्षा दी। शहनाज सुबह अपने भाई सनाउल के साथ महाविद्यालय पहुंची और बीएड की परीक्षा दी। शहनाज शिक्षिका बनना चाहती हैं। बेटा पिता की पी-कैप से लिपटकर रोया। आस पास के लोगों ने सांत्वना दी। परिवार को कोहराम मच गया। परिवार वाले ताबूत सेलिपटकर रोए। वहीं इसके बाद रात को सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।