Highlight : प्रसिद्ध साहित्याकर महावीर रवांल्टा को मिलेगा प्रतिष्ठित 'शब्द निष्ठा' पुरस्कार - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

प्रसिद्ध साहित्याकर महावीर रवांल्टा को मिलेगा प्रतिष्ठित ‘शब्द निष्ठा’ पुरस्कार

Reporter Khabar Uttarakhand
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उत्तरकाशी: उत्तराखंड के ख्यातिलब्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को साहित्य के क्षेत्र का एक और बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है। महावीर रवांल्टा जितने उच्च श्रेणी के साहित्यकार हैं। उतने ही बेहतरीन और निष्पक्ष समीक्षक भी हैं। उनको पुस्तक समीक्षा के लिए राजस्थान का प्रतिष्ठित शब्द निष्ठा पुरस्कार से सम्मानित किया गया जाएगा। यह पुरस्कार देश के अजमेर में दिया जाता है। शब्द निष्ठा पुरस्कार किसी रचना के नहीं, बल्कि पुस्तक समीक्षा के लिए दिया जाता है। इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर बाकायदा प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इसी प्रतियोगिता के आधार पर देश के 36 प्रतिष्ठित साहित्यकारों और समीक्षकों का चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया है। प्रतियोगिता के संयोजक डॉ. अखिलेश पालरिया ने बताया कि इसके तहत स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और नकट पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।

महावीर रवांल्टा केवल उत्तराखंड के ही नहीं, बल्कि देश के चोटी के साहित्यकारों में गिन जाते हैं। उनको शब्द निष्ठा पुरस्कार के अलावा साहित्य क्षेत्र के कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं। रंगमंच के सधे और मंझे हुए रंगकर्मी महावीर रवांल्टा करीब 36 पुस्कतें लिख चुके हैं। इसमें साहित्य की लगभग सभी विधाओं में उन्होंने लिखा है। कविता संग्रह से लेकर कहानी, लघु कहानी, उपन्यास, नाटक और बाल साहित्य के साथ ही अपनी उत्तराखंड भाषाओं में भी लिखा है।

उनके कथा साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में लघुशोध एवं शोध प्रबंध प्रस्तुत हो चुके हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन से उनकी रचनाओं का प्रसारण होता रहा है। उनकी कहानियों ‘खुली आंखों में सपने’ व ‘ननकू नहीं रहा’ पर नाटकों का मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की संस्कार रंग टोली, कला दर्पण, मांडी विद्या निकेतन (दिल्ली) और विशेष बाल श्रमिक विद्यालय (अगवाल, खुर्जा) किया जा चुका है।

भाषा-शोध एवं प्रकाशन केंद्र वड़ोदरा (गुजरात) के भारतीय भाषा-लोक सर्वेक्षण, उत्तराखंड भाषा संस्थान के भाषा सर्वेक्षण, पहाड़ (नैनीताल) के बहुभाषी शब्दकोश के लिए रवांल्टी पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने 1992 से लेकर अब तक रवांल्टी को पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयास किये। उन्होंने ही सबसे पहले रवांल्टी में साहित्य सृजन की शुरूआत की। ‘गैंणी जण आमर सुईन’ पहला रवांल्टी कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। इसके अलावा एक प्रेम कथा का अंत रवांई क्षेत्र की प्रसिद्ध प्रेम कथा को फलक देने के लिए उन्होंने नाटक भी लिखा है।

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