उधमसिंह नगर : गदरपुर के निकटवर्ती गांव पिपलिया नंबर-1 में दो पीढ़ियों से मूर्ति कला को जीवित रखे हुए हैं. परिवार मूर्तिकार अतुल ने बताया कि उनके पिता पहले मिट्टी की मूर्तियां बनाते थे जो समय के साथ परिवर्तन करते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाने लगे, लेकिन वह मूर्तियां जल्द खराब हो जाती थी. इस पर काम करते हुए मैंने अपने पिता के साथ मिलकर कंक्रीट की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया है.
पूरा परिवार करता है सहयोग
मूर्तिकार अतुल ने कहा कि वो यह काम बचपन से ही करते हुए आ रहे हैं. साथ में उनकी पत्नी औऱ बच्चे भी साथ देते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने मूर्तिकला अपने पिता से सीखी है. वो बचपन से पिता को मूर्ति बनाते देखते आ रहे हैं और इस कारण उनको भी रुचि लेना शुरू कर दिया था.अतुल का कहना है कि इस काम में उनकी विधवा बहन जो कि हमारे यहां ही रहती है वो भी मुर्तिकला में उनका साथ देती है साथ ही माता-पिता, बच्चे और पत्नी भी सहयोग करती हैं.
निशुल्क सिखाते हैं मूर्तिकला
लेकिन आज मूर्तिकला में लोगों की रुचि कम होती जा रही है. अतुल का कहना सरकार से कभी किसी भी तरह के लोन अथवा अनुदान की सहायता नहीं प्राप्त हुई, यदि सरकार मूर्तिकला को बढ़ावा देती है तो यह सबके लिए लाभकारी होगा और जो भी मूर्तिकला सीखना चाहते हैं वो उनको निशुल्क सिखाते हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई योगदान नहीं मिलता।