जोशीमठ में दरारों के बाद कुछ लोगों को तो राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त भवनों में रहने वाले कुछ परिवार अब भी खतरे के बीच रहने को मजबूर हैं। इनके मकानों के नीचे और अगल-बगल भी भूधंसाव हो रहा है। ऐसे में उनके परिवार दहशत में जी रहे हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन में प्रभावितों ने सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।
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असुरक्षित भवनों के बीच डर के साये में जीने को मजबूर परिवार
जोशीमठ में पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त भवनों में रहने वाले कुछ परिवार अब भी खतरे के बीच रहने को मजबूर हैं। दरअसल इनके भवनों में सीबीआरआइ रुड़की के विज्ञानियों की टीम के सर्वे के दौरान कम दरारें थी। जिसके कारण इनमें रहने वाले परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट नहीं किया।
दरारें चौड़ी होने से मंडरा रहा खतरा
लेकिन अब इन घरों की दरारें चौड़ी हो रही हैं। इसके साथ ही भवनों के चारों ओर भूधंसाव होने से इनमें रह रहे परिवारों पर दोहरा खतरा मंडरा रहा है। प्रभारितों ने प्रशासन से राहत शिविरों में शिफ्ट करने की गुहार लगाई है। लेकिन प्रभावितों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके क्षतिग्रस्त भवनों को सुरक्षित बताते हुए फिलहाल उन्हें उसमें ही रहने को कहा।
आक्रोशित प्रभावितों ने शासनादेश की जलाई प्रतियां
जोशीमठ में दरारों के कारण 868 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है। इनमें से 181 भवन खतरनाक श्रेणी में हैं। नगर के गांधीनगर वार्ड में दरारों के कारण 156 भवन रहने लायक नहीं हैं। आपदा प्रभावितों ने सरकार की ओर से घोषित राहत पुनर्वास नीति को मजाक बताया।
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जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन में नाराज आपदा आपदा प्रभावितों ने सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।