देहरादून: गनीमत है एसआईटी का, जो एक के बाद एक फर्जी शिक्षकों को बेनकाब कर रही है। वरना शिक्षा विभाग ने तो फर्जी डिग्रियों पर ही असली शिक्षकों की तैनाती कर दी थी। सवाल ये है कि आखिर कई सालों तक फर्जी शिक्षक कैसे नौकरी करते रहे। क्या शिक्षा विभाग को गलत ढंग से या फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक बने वालों की योग्यता का पता नहीं चल पाया होगा ? क्या शिक्षा नियुक्ति के समय दस्तावेजों की जांच नहीं की होगी ? अगर नहीं की गई, तो फिर जिम्मेदार अधिकारियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?
फर्जी डिग्री और प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षक बने लोग मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी को अपने नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज नहीं दिखा पा रहे हैं। नजीता ये आ रहा है कि एक के बाद एक कई शिक्षक निलंबित किये जा चुके हैं। इसके साथ सवाल यह भी है क्या निलंबित करनेभर से ही अपराध कम या समाप्त हो जाता है ? आपराधिक मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया जा रहा। साथ ही तत्कालीन नियुक्ति अधिकारी को आरोपी क्यों नहीं बनाया जा रहा ?
ताजा मामले में फिर से हरिद्वार जिले के पांच शिक्षकों को निलंबित किया गया है। हैरानी की बात यह है कि अब तक जितने भी शिक्षक फर्जी नियुक्ति मामले में पकड़े गए हैं। उनमें से लगभग सभी हरिद्वार जिले के ही हैं। यह भी अपने आप में कई सवाल खड़े करता है कि आखिर सभी फर्जी शिक्षक हरिद्वार जिले में ही क्यों पकड़े जा रहे हैं ? इस पूरे गठजोड़ को बेनकाब करने का प्रयास आज तक किया ही नहीं गया। फर्जी शिक्षकों को निलंबित कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।