देहरादून : उत्तराखंड के बहुचर्चित मामले एनएच-74 में हुए 300 करोड़ घोटाले मामले में अब नया मोड़ आ गया है और एक बड़ा खुलासा हुआ है. जिससे राज्य क्या केंद्र तक हड़कंप मच सकता है. साथ ही इससे एनएच-74 मामले में जांच का दायरा और भी अधिक बढ़ना तय माना जा रहा है.
आईएएस पंकज पांडे ने किया बड़ा खुलासा
जी हां, घोटाले में निलंबित आईएएस पंकज पांडे ने अहम दस्तावेज जारी किए…ये अब तक की सबसे बड़ी जानकारी उन अधिकारी और सफेदपोश नेताओं के लिए हो सकती है जिन्होंने करोड़ों रुपये डकार लिए. पंकज पांडे के द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों से ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है.
कई बड़े चेहरे हो सकते हैं बेनकाब
दस्तावेजों के मुताबिक पंकज पांडेय ने दावा किया है कि मुआवजा वितरण से पहले पूरी प्रक्रिया अपनायी गयी,साथ ही उच्च पदस्थ लोगों से भी मुआवजे के वितरण के लिए अनुमोदन लिखित में लिए गए. तत्कालीन सरकार से भी इन मुआवजों के वितरण के लिए अनुमोदन लिया गया था. पंकज पांडे के इस खुलासे के बाद ये तय है कि एनएच-74 घोटाले की जांच की जद में कई अन्य अधिकारी और राजनेता भी आ सकते हैं.
पंकज पांडे ने जो दस्तावेज सामने रखें हैं उसके मुताबिक थारु जनजाति को मिली जमीनों को सौ रुपए के स्टांप पेपर पर अन्य लोगों को कब्जा दे दिया गया। हालांकि मूल अभिलेखों में मूल मालिक का नाम चलता रहा। इस बीच सौ रुपए के स्टांप पेपर के जरिए काबिज हुए लोगों ने इस जमीन पर दुकाने तक बनवा लीं। जब जमीन अधिग्रहण की बात आई तो मुआवजा मूल अभिलेखों में दर्ज मालिक को ही मिलता है। ऐसे में तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज पांडेय ने अपने उच्च पदस्थ अधिकारियों से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा। पंकज पांडेय ने 24 फरवरी 2015 को मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा। पंकज पांडेय ने आशंका जताई कि यदि जमीन पर काबिज लोगों को मुआवजा नहीं दिया गया तो शांति भंग की आशंका है।
इस संबंध में अधिकारियों की एक बैठक 30 अप्रैल 2015 को हुई। इस बैठक में तत्कालीन प्रमुख सचिव नियोजन एस रामास्वामी समेत कई अन्य अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में NHAI के अधिकारी भी शामिल थे। इस बैठक की नोटिंग में भी इस बात का जिक्र है कि यदि जमीन पर काबिज लोगों को मुआवजा नहीं मिला तो व्यवहारिक परेशानी सामने आएगी। बिंदू चार में दर्ज किया गया है कि काबिज किसानों की अनदेखी भी नहीं हो सकती। लिहाजा इस मामले को कैबिनेट के सामने रखा जाए।
इस दस्तावेजों के सामने आने के बाद ये साफ है कि पंकज पांडेय ने मुआवजा वितरण से पहले उच्च पदस्थ अधिकारियों से रायमशविरा किया था। दस्तावेजों से इस बात की आशंका को बल मिलता है कि मुआवजे में हो रहे खेल के बारे में पूरे सिस्टम को पता था। राज्य में तैनात उच्च अधिकारियों से लेकर नेताओं तक को ये बात पता थी। ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि एनएच 74 घोटाले के छींटे अब कई अन्य अधिकारियों और नेताओं पर भी पड़ सकते हैं। फिर नेशनल हाइवे अथारिटी के अधिकारियों को भी बिना जांच के ही क्लीन चिट दे देने के फैसले पर भी अदालत में सवाल हो सकता है।