हल्द्वानी के नैनीताल जिले का पसोली गांव जो हल्द्वानी शहर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर बसा है, लेकिन मानसून के 4 महीनों में भारी बरसात और गौला नदी के उफान के चलते इस गांव का सम्पर्क प्रदेश से कट जाता है, क्योंकि उफनाती गौला नदी जानलेवा साबित हो जाती है और नदी के दूसरे छोर पर पहुँचने का कोई अन्य विकल्प नही बचता हैं, आखिर इस गांव के स्कूली बच्चे और बुजुर्ग और महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर आवाजाही कैसे कर रहे हैं, देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में –
थोड़ी सी चूक हुई नहीं और सब कुछ खत्म,
एक रस्सी पर चल रही ट्रॉली के जरिये उफनाती गौला नदी को पार कर रहे स्कूली बच्चों की ये तस्वीरें हल्द्वानी के पसोली गाँव की हैं, खतरा इस कदर है की थोड़ी सी चूक हुई नहीं और सब कुछ खत्म, लेकिन मजबूरी है पढ़ाई जो करनी है और घर का राशन लाना है. पसोली गाँव के बच्चे ट्रॉली के सहारे गौला नदी को पार कर हल्द्वानी में अपने अपने स्कूल पहुंचते हैं ये स्कूली बच्चे अपनी स्कूल ड्रेस भी बैग में रखकर ले जाते है ताकि भारी बारिश में नदी से ट्रॉली में बैठकर पार करते वक्त उनकी स्कूल ड्रेस न भीग जाये और नदी पार करने के बाद बच्चे अपनी स्कूल ड्रेस पहनते है, और यहां की महिलाएं और पुरुष घर का राशन लाती हैं, पिछले कई सालों से ग्रामीणों की यह समस्या बरकरार है जिसके चलते उन्होंने गौला नदी पर इस जगह पुल बनाने की मांग भी शासन प्रशासन से की लेकिन नतीजा शून्य निकला।
ट्रॉली से अपने बच्चो को स्कूल लाते ले जाते हैं ग्रामीण, हर परिवार से एक सदस्य सेना में
ग्रामीणों को पहले से ही इस बात का संशय था की पुल के बनने में अड़चन आ सकती है लिहाजा उन्होंने नदी के आर पार रस्सी के सहारे ट्रॉली लगाना ही उचित समझा जिससे ग्रामीण अपने बच्चों को स्कूल लाते ले जाते हैं। नदी के पार सभी परिवारों में से हर परिवार का सदस्य भारतीय सेना में सेवा दे रहा है और कुछ सेवानृवित भी हो चुके है। भारतीय सेना के टेक्निक से ही इस ट्रॉली को बनाया गया है।
पढ़ाई के लिए अपने जिगर के टुकड़ों की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजने को मजबूर घरवाले
पढ़ाई के लिए अपने जिगर के टुकड़ों की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजने को लेकर हर अभिभावक की साँसे अटकी रहती हैं। माता पिता अपने बच्चे को स्कूल लाने ले जाने के लिये सुबह और दिन में 1 घण्टा पहले छोड़ने ट्रॉली तक आते हैं। जब तक बच्चे ट्रॉली से आर पार नही होते तब तक वे घर नही लौट सकते। वही इस ट्रॉली का निर्माण आर्मी से रिटायर्ड फौजी जीवन थापा ने किया है।
विधायक का बयान- धन की कमी के कारण अभी तक नहीं मिली स्वीकृति
वहीं स्थानीय विधायक राम सिंह कैड़ा का कहना है कि उनके द्वारा पुल बनाने के सम्बंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से लेकर शासन के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन धन की कमी होने के चलते पुल को बनाने को लेकर अभी तक स्वीकृति नही मिल पाई है, वही विधायक राम सिंह कैड़ा ने खतरे को देखते हुए पसोली गांव के लोगो से अपील की है कि वो अपनी जान को जोखिम में डालकर नदी को पार करने की कोशिश ना करे,
ट्रॉली के सहारे अपनी जान को जोखिम में डालने के बावजूद प्रशासन ने मामले की सुध लेना भी उचित नही समझा है, अधिकारियों के मुताबिक़ जल्द मामले को संज्ञान में लेकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने को कोशिश की जाएगी।
उफनाती गौला नदी पर ट्रॉली के सहारे आवाजाही करते ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं, प्रदेश में यह कोई पहला मामला नही है जब उफनाती नदी के बीच ग्रामीण पिछले कई सालों से ट्रॉली के भरोसे ज़िंदगी काटने को मजबूर हैं, उम्मीद की जानी चाहिए की सरकार और प्रशासन जल्द से जल्द ग्रामीणों की इस परेशानी को दूर करने का प्रयास करे