देहरादून (मनीष डंगवाल): उत्तराखंड कि त्रिवेंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में सीधी भर्ती के पदों पर आरक्षण रोस्टर नए सिरे से जारी किए जाने के बाद से ही प्रदेश में एससी/एसटी इम्पलाइज फेडरेशन और जनरनल ओबीसी इम्पलाइज फेडरेशन आमने-सामने आ गए हैं। आखिर ऐसी स्थिति क्यों आई ? इसको लेकर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है।
आरक्षण रोस्टर पर विवाद छिड़ गया
सवर्ण वर्ग को सीधी भर्ती के पदों पर 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने नए सिरे से सीधी भर्ती यानी सरकारी नौकारी पाने वाले बेरोजागारों के लिए नए सिरे से आरक्षण का रोस्टर तैयार किया है। लेकिन, नए आरक्षण रोस्टर पर विवाद छिड़ गया है। नए आरक्षण रोस्टर का विरोध जहां कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य कर दिया है। वहीं, एससी/एसटी इम्पलाइज फेडरेशन ने रोस्टर को पूरी तरह से गलत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। यही नहीं सरकार पदोन्नति के पदों पर रोक लगाए जाने के फैसले पर प्रदेश में कर्मचारी संगठनों में रोष देखा जा रहा है।
रोस्टर का विरोध
एससी/एसटी इम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष करम राम का कहना कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी 10 प्रतिशत सवर्ण वर्ग को आरक्षण देते हुए नया रोस्टर जारी किया है, जिसमें रोस्टर में पहला पद अनुसूचित जाती का ही रखा है। वहीं, त्रिवेंद्र सरकार ने नए आरक्षण रोस्टर में पहले स्थान से अनुसूचित जाती का पद हटाकर सामान्य जाति को दिया है, जो गलत है। जहां तक पदोन्नति की बात है तो सरकार को पदोन्नति के पदों पर भी आरक्षण देना चाहिए, जिस पर प्रदेश में रोक लगी हुई है।
एससी/एसटी और जनरल, ओबीसी इम्पलाइज फेडरेशन
आरक्षण का नया रोस्टर जारी होने को लेकर जहां एससी/एसटी इम्पलाइज फेडरेशन विरोध कर रहा है। वहीं जनरल, ओबीसी इम्पलाइज फेडरेशन ने सरकार के नए आरक्षण रोस्टर का स्वागत किया है। जनरनल, ओबीसी इम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना कि नए आरक्षण रोस्टर से आरक्षण में न्याय हुआ है, जो अब तक नहीं हो रहा था। क्योंकि अब तक पुराने रोस्टर केे अनुसार 100 पदों पर अनुसूचित जाति के लोगों को 19 प्रतिशत के तय आरक्षण के बदले उनको 20 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था। सरकार ने पदोन्नति के पदों पर लगाई गई रोक को लेकर बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति बनेगी। नए आरक्षण रोस्टर को लेकर एससी/एसटी इम्पलाइज फेडरेशन विरोध कर रहा है। फेडरेशन उत्तर प्रदेश राज्य का हवाला दे रहा है तो जिन पदों पर आरक्षण के तहत कई कर्मचारी और अधिकारी पदोन्नति आरक्षण के बलबूते पाएं हुए हैं, उनके प्रमोशन को यूपी की तरह खत्म कर देना चाहिए।
सरकार के दोनों विकल्प खुले
नए आरक्षण रोस्टर और पदोन्नति के पदों कुछ विसंगतियां होने के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों मामलों पर फिर से निर्णय लेने की बात कही। मुख्यमंत्री का कहना है कि कर्मचारियों के साथ अन्याय नहीं होगा और परीक्षण के बाद ही कोई कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सरकार के सामने नए आरक्षण रोस्टर का विरोध और पदोन्नति के पदों पर आरक्षण दिए जाने या न दिए जाने को लेकर धर्मसंकट खड़ा हो गया है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह क्या फैसला लेते हैं, जिससे जनरल, ओबीसी इम्पलाइज फेडरेशन और एससी/एसटी इम्पलाइज फेडरेशन दोनों ही संतुष्ट हांे।