देहरादून (मनीष डंगवाल) : पूरे देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में कई नेता दल बदल कर दूसरे दलों में पाला बदलने को तैयार हैं…वहीं उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड में भाजपा को तगड़ा झटका कांग्रेस देने जा रही है. जी हां 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ने उत्तराखंड में कांग्रेस को झटका देते हुए पौड़ी सांसद सतपाल महाराज को भाजपा में शामिल कर दिया था वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने उत्तराखंड कांग्रेस को बडे़ झटका देते हुए पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कई कांग्रेसी विधायक को अपने पाले में शामिल कर दिया था लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास ऐसा कोई मौका हाथ नहीं लग पाया है कि वह चुनाव के समय कांग्रेस के किले सेंध मारी कर सके लेकिन कांग्रेस ने इस बार बाजी पलट दी है और जो घाव अब तक भाजपा ने उत्तराखंड में कांग्रेस को दिए थे उन घाव को भरते हुए कांग्रेस ने भाजपा को बड़ा झटका देते हुए पौड़ी लोकसभा सीट से निवर्तमान सांसद और पूर्व सीएम बीसी खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी को अपने पाले में ले लिया है।
कांग्रेस में शामिल होने की पुख्ता जानकारी
जी हां अभी तक उत्तराखंड के साथ पूरे देश में इस बात की चर्चा है कि क्या खंडूरी के बेटे मनीष कांग्रेस में शामिल हो रहे है लेकिन हम आपको पुख्ता जानकारी दे रहे हैं कि मनीष खंडूरी कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं और 16 मार्च को परेड ग्राउड़ में राहुल गांधी की रैली के दौरान इसकी घोषणा भी मनीष खंडूरी कर देंगे।
मनीष की कांग्रेस में शामिल होनी की वजह
मनीष खंडूरी के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं की बीच सबकी जुबान पर यही सवाल है कि आखिर जिस पार्टी ने उनके पिता भुवन चंद्र खंडूरी को दो बार उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया उस पार्टी के खिलाफ मनीष खंडूरी क्यों जा रहे है तो इन सवालों का जवाब भी हम आपको देंगे। हमारे सूत्रों ने जो हमें जानकारी दी है उसके मुताबिक मनीष खंडूरी का राजनीति आने का कोई इरादा नहीं था,लेकिन मनीष खंडूरी की राजनीति में आने की दो प्रमुख वजह है.
मनीष खंडूरी की राजनीति में आने की दो प्रमुख वजह
पहली वजह
भाजपा के द्वारा भुवन चंद्र खंडूरी का वह अपमान जो भाजपा की केंद्र सरकार के द्धारा उनके पिता के साथ किया गया और वह पहली वजह थी केंद्रीय रक्षा समिति से बीसी खंडूरी को हटाया जाना. अचानक अक्टूबर 2018 में खंडूरी को रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया.
जी हां आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीसी खंडूरी की जीत के बाद माना जा रहा था कि उन्हे केंद्र की मोदी सरकार मंत्री पद देगी, लेकिन केंद्र ने खंडूरी को मंत्री पद तो नहीं दिया लेकिन केंद्रीय रक्षा समिति में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए. उन्हे केंद्रीय रक्षा समिति का अध्यक्ष बना दिया. जनरल खंडूरी ने समिति में कई महत्वपूर्ण सुधार भी किए जिसके लिए उनकी तारीफ समिति में मौजूद सदस्यों के द्धारा खुले रूप से की गई लेकिन अचानक अक्टूबर 2018 में खंडूरी को रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, जिसका मलाल खंडूरी को भी हुआ और उनके बेटे को भी. उनके बेटे ने इसे उनके पिता के अपमान के रूप में ले लिया. ये एक प्रमुख वजह मनीष खंडूरी की राजनति में आने की ये भी मानी जा रही है.
दूसरी वजह
वहीं दूसरी वजह राहुल गांधी से मनीष खंडूरी का वह दोस्ताना रिशता है जो 16 मार्च को परेड ग्राउंड में मनीष की सियासी पारी के शुरूवात में ही दिख जाएगा। कांग्रेस में मनीष को लाने के लिए राहुल ने प्लान तैयार किया. भाजपा भले ही राहुल गांधी को अभी भी पप्पू समझती हो लेकिन जो चाल मनीष खंडूरी को कांग्रेस में लाने के लिए राहुल ने चली उसे समझा जा सकता है कि भाजपा भले की राहुल को पप्पू समझे लेकिन अब राहुल गांधी कांग्रेस के लिए चाणक्य वाला दिमाग चला रहे हैं और मनीष खंडूरी को कांग्रेस में शामिल होने से इसे समझा जा सकता है।
राहुल ने इस दिन बनाया मनीष खंडूरी को पार्टी में शामिल करने का मन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जिस दिन ये मालूम हुआ कि बीसी खंडूरी को केंद्र सरकार ने रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया है. उसी दिन राहुल गांधी ने मनीष खंडूरी को कांग्रेस में शामिल करने का मन बना लिया था, जिसमें राहुल गांधी कामयाब भी हो गए हैं। राहुल गांधी ने खुद मनीष को कांग्रेस पार्टी में शामिल करन के लिए बात नहीं कि बल्कि इसके लिए राहुल ने तीन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी, जिनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राहुल गांधी के राजनीति गुरू पहले व्यक्ति थे. वहीं छत्तीसगढ़ के कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जिनके नेतृत्व में तीन राज्यों में से कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत हासिल हुए. दूसरे व्यक्ति वह मनीष को कांग्रेस में शामिल होने की जिम्मेदारी निभा रहे थे, जबकि तीसरे छत्तीसगढ़ के कद्दावर कांग्रेस विधायक भी इस जिम्मेदारी में थे. तीनों कांग्रेस के नेताओं से बातचीत के बाद मनीष की राहुल गांधी से बात हुई और राहुल गांधी ने मनीष खंडूरी को उत्तराखंड कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहा साथ ही पौड़ी लोकसभा सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए भी राजी कर दिया।
अमेरिका से हुई है दोस्ती
राहुल गांधी और मनीष खंडूरी की सियासी दोस्ती भले ही 16 मार्च से औपचारिक रूप से शुरू होने जा रही है, लेकिन दोनों की ये दोस्ती पढ़ाई के समय अमेरिका से शुरू हुई थी. जब पढाई के लिए राहुल गांधी और मनीष खंडूरी अमेरिका में थे..यहीं नहीं कांग्रेस मनीष खंडूरी राहुल के अकेले दोस्त नहीं हैं बल्कि ज्योति आदित्य सिंधिया और सचिन पायलट से भी है। राजनीति में आने के लिए मनीष खंडूरी ने फेसबुक न्यूज एंड रिसर्च हेड तक का पद छोड़ दिया. जहां मनीष करोड़ों रूपये के पैकेज पर काम कर रहे थे।
मनीष को लेकर कांग्रेस गंभीर
मनीष खंडूरी के कांग्रेस ज्वॉइन करने को लेकर जहां भाजपा इसे हल्के में ले रही है वहीं कांग्रेस मनीष खंडूरी को लेकर गंभीर है,कांग्रेस को लगता है कि जो अपमान केंद्र की मोदी सरकार ने बीसी खंडूरी का रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हटा कर किया है अगर यही बात पौड़ी लोकसभा सीट की जनता के बीच कांग्रेस ने रख दी तो पौड़ी सीट पर कांग्रेस की जीत तय है। सूत्र तो यहां तक भी बता रहे है कि जिस तहर से रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से खंडूरी को हटा गया उसे उनका परिवार भी भाजपा से काफी नाराज है।
सेना में सुधार के सुझाव खंडूरी को पड़े भारी
लोकसभा चुनाव में भाजपा सेना का भी राजनीतिकरण कर रही है इसमें कोई दो राय नहीं है,और केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इसको लेकर गाईड लाईन भी जारी कर दी है कि कोई भी दल सेना का राजनीतिकरण न करें लेकिन जिस सेना में सुधार की कोशिशों को लेकर जनरल खंडूरी ने अपनी रिपोर्ट रक्षा समिति के अध्यक्ष के अध्यक्ष के नाते केंद्र सरकार को सौंपी,वहीं सुधार के सुझाव खंडूरी की कुर्सी ले गए.
दरअसल जो सुझाव खंडूरी ने केंद्र सरकार को दिए थे कि सेना को आधुनिक उपकरणों से लेस होना चाहिए,सौनिकों के लिए 4 साल में सरकार बुलेट प्रूफ जैकेट तक नहीं खरीद पाई. साथ ही रक्षा का बजट इतना कम है कि सेना के पास ज्यादा गोला बारूद तक नहीं है…इसे बढ़ाया जाना चाहिए। ये सुझाव केंद्र का इस तरह नागवार गुजरा कि केंद्र ने सरकार ने खंडूरी की कुर्सी की खींच ली और खंडूरी को रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से तब हटा दिया जब लोकसभा चुनाव में 4 माह का समय था। यही वह नराजगी है जो मनीष खंडूरी को चुभी है और वह कांग्रेस में जाकर इनका जवाब देना चाहते है। खैर देखना ये होगा कि जब 16 मार्च को राहुल परेड ग्राउंड में जनसभा को सम्बोधित करते है तो इन तमाम बातों का जिक्र राहुल अपनी रैली में करते है या नहीं.