देहरादून: देहरादून में सामें आये जहरीली शराब कांड से पहले एक और शराब कांड हरिद्वार में हुआ था। उस शराब कांड ने सबको हिलाकर रख दिया था। हरिद्वार के झबरेड़ा थाना क्षेत्र के बाल्लुपुर और आस-पास के गांवों में शराब पीने से 44 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। घटना के बाद भी ऐसा ही हल्ला मचा था, जैसा आज मचा हुआ है। जांच रिपोर्ट शासन में फाइलों के चट्टों के बीच गुम है। रिपोर्ट पर कार्रवाई करना तो दूर, उसमें क्या है, ये भी किसी को आज तक नहीं बताया गया।
जांच अधिकारी को ट्रांसफर
आनन-फानन में पुलिस से लेकर नेता, मंत्री और अधिकारी हर कोई कार्रवाई के दावे करने लगा। रोज बयान जारी किये गए। यूपी और उत्तराखंड की पुलिस ने संयुक्त जांच की। हरिद्वार के तत्कालीन डीएम दीपक रावत ने जांच एडीएम डाॅ.ललित नारायण मिश्रा को सौंपी। उन्होंने जांच पूरी मेहनत और लगन से की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। उनको ट्रांसफर कर दिया गया और डीएम दीपक रावत को बदलकर कुंभ मेला अधिकारी बना दिया गया।
100 लोगों की मौत
इसी साल 8 फरवरी को झबरेड़ा थाना क्षेत्र के बाल्लुपुर समेत कई गांवों और सहारनपुर में जहरीली शराब पीने से 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसमें 44 हरिद्वार जिले के थे। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को हिला देने वाले जहरीली शराब कांड में तत्कालीन डीएम दीपक रावत ने मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए थे।
शासन को भेजी रिपोर्ट
अपर जिलाधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्रा को सौंपी गई थी। उन्होंने कई दिनों तक प्रभावित गांवों का दौरा कर साक्ष्य जुटाए। सैकड़ों लोगों के बयान भी दर्ज किए थे। बाद में उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम कार्यालय में जमा करा दी थी। इसके तुरंत बाद उनका स्थानांतरण हो गया और जिलाधिकारी भी बदल गए। जांच शासन को भेजी गई, लेकिन हुआ कुछ नहीं। जांच की वो फाइल भी दूसरी फाइलों की तर कहीं दफन होकर रह गई।