देहरादून: केदारनाथ त्रासदी ना हो इसके लिए यूसेक और वाड़िया भू-विज्ञान संस्थान एक फुलप्रूफ प्लान तैयार करने में जुटा है। दोनों ही संस्थानों ने मिलकर एक ऐसी योजना बनाई है, जिस पर काम करने के बाद भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। दोनों ही संस्थान एक रिसर्च करने जा रहे हैं, जिससे ये पता लगाया जा सके कि उच्च हिमालयी क्षेत्र को कौन से शिखर, ग्लेशियर और उसके आसपास बनने वाली झीलीं की स्थिति क्या है ?
केदारनाथ त्रासदी से सबक
केदारनाथ की भीष्ण जलप्रलय की याद आते ही रूह अब भी कांप उठती है। 2013 में केदारनाथ घाटी में आयी भीषण आपदा की प्रमुख वजह चैराबाड़ी ग्लेशियर और झील का फटना था। इतनी बड़ी त्रासदी का किसी को अंदाजा नहीं था। ऐसी त्रासदी जिसने हजारों लोगों को लील लिया। ऐसी त्रासदी, जिसने लोगों का सबकुछ तबाह कर दिया। उस त्रासदी से लोग अब तक भी सही तरह से उभर नहीं पाये हैं।
हिमालयी क्षेत्र की होगी सेटेलाइट स्टडी
सरकार ने इस तरह की किसी भी त्रासदी और आपदा से बचाने के लिए यूसेक और वाड़िया भू-विज्ञान संस्थान को बड़ी जिम्मेदारी दी है। दोनों ही संस्थान उच्ची हीमालयी ग्लेशियरों और उनके आसपास बनी हर झील और पानी के स्रोत का सेटेलाइट के जरिये मैपिंग स्टडी करेंगे, जिससेे पर्वत शिखरों, ग्लेशियरों और चैराबाड़ी (गांधी सरोवर) जैसी झीलों की सही जानकारी हासिल की जा सके। इस स्टडी के जरिये सरकार प्रदेश के हर शिखर और झील का डाटा अपने पास रखेगी और समय-समय पर उनका विश्लेषण किया जाएगा।
समस्या का होगा समाधान
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना कि सेटेलाइट स्टडी से किसी भी आपदा से बचा जा सकता है। उनहोंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2013 की केदारनाथ जैसी किसी भी आपदा से बचने का है। स्टडी करने से इनकी वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा और समय रहते अगर कोई कदम उठाने हों, तो उठाये जा सकें।