देहरादून : लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के दम पर बेशक उत्तराखंड में भाजपा मजबूत नजर आ रही है, और कांग्रेस से प्रचार प्रसार में आगे दिखाई दे रही हो लेकिन भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है…इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की नेम प्लेट भाजपा प्रदेश कार्यालय से इसलिए हटा दी गई है क्योंकि भाजपा हाईकमान ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए नरेश बंसल को कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है…ऐसे में अपने आप में एक सवाल उठता है कि जब पार्टी ने कुछ दिनों के लिए नरेश बंसल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है तो फिर अजय भट्ट की नेम प्लेट उनके कक्ष से हटा देना सही है…वह भी तक जब भाजपा का ध्यान 5 लोकसभा जीतने पर है।
पार्टी के भीतर अंतर द्धंद
अजय भट्ट की नेम प्लेट प्रदेश भाजपा कार्यालय से उनके कक्ष से हटा देना इस बात का साफ संकेत है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है और अगर सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा हो तो प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के खिलाफ इस तरह की साजिश पार्टी में नहीं चल रही होती कि पहले उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करदे और फिर उनकी नेम प्लेट को हटा दिया जाएं. उत्तराखंड में इसे पार्टी के भीतर जबरदस्त अंतर द्धंद ही समझा जाए कि पार्टी ने उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है.
अमित शाह के बदले पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर क्यों नहीं किया कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त
जबकि भाजपा के भीतर ही इस बात की चर्चाएं है कि अगर कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष न भी नियुक्त किया जाता तो पार्टी के काम चल सकते थे और इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि पार्टी ने कई प्रदेशों के प्रदेश अध्यक्षों को टिकट दिए और टिकट देने जा रही है लेकिन वहां पर प्रदेश कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त नहीं किए हैं और इससे भी अगर गंभीर तरीके से मामले को समझे तो जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और पूरे देश में पार्टी की जिम्मेदारी उन पर है तो फिर पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर क्यों कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया।
भट्ट समर्थकों में गुस्सा
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आज दिन भर अजय भट्ट समर्थकों में इस बात को लेकर रोष देखने को मिल रहा था कि कैसे अजय भट्ट के पास अध्यक्ष पद रहते हुए उनकी नेम प्लेट हटा दी गई. अजय भट्ट के करीबी लोगों में इस बात को लेकर रोष भी है कि उनके नेता का ये सरासर अपमान हैै।
11 अप्रैल के बाद ज्वालामुखी फूटने के आसार
पार्टी में जिस तरह लोकसभा चुनाव के बीच एकजुटता की बजाय अब धड़े बाजी देखने को मिल रही है उसे साफ संकेत है कि जिस दिन उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो जाएंगी तो उसके अगले दिन से इस ताममा बातों को और हवा मिलेगी और पार्टी नेताओं में एक दूसरे के खिलाफ जमकर रोष निकलेगा जिसे वह चुनाव को देखते हुए दबाएं बैठे हैं।