देहरादून। लोकसभा चुनाव के महासंग्राम के बीच दलबलू नेताओं का दल बदलने का सिलसिला जारी है. 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले भले ही अभी दलबदलू नेताओं की फेरिस्त कम छोटी हो लेकिन फिर भी कई नेता ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव से पहले दलबदल चूके हैं।
वहीं बात उत्तराखंड की करें तो उत्तराखंड में कांग्रेस ने जरूर भाजपा को झटका देते हुए पूर्व सीएम और पौड़ी लोकसभा सीट से निर्वतमान सांसद बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को अपने पाले में ले लिया है और माना जा रहा है कि कांग्रेस निवर्तमान सांसद बीसी खंडूरी के बेटे को ही पौड़ी लोकसभा सीट से हाथ के निशान पर चुनाव लडाएंगी। मनीष खंडूरी जहां कांग्रेस में शामिल होते ही टिकट पाने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं वहीं पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट पाने के लिए हरीश रावत की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले हरक सिंह रावत भी कोशिशों में थे .लेकिन हरक सिंह की सारी कोशिशे फेल हो गई।
पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बना दिया था
सूत्रों की मानें तो हरक सिंह ने कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बना दिया था,यहां तक कि हरक सिंह रावत ने अपने खास लोगों से इस बारे में राय भी ली थी लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने हरक सिंह की घर वापसी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वालों की घर वापसी मुश्किल
लोकसभा चुनाव में देश में कई नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं लेकिन उत्तराखंड के कई बड़े नेता जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं उनकी घर वापसी की खबरें कई दिनों से थी. इन्ही चर्चाओं के बीच कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को बकायदा दिल्ली में पत्रकार वार्ता करनी पड़ी थी कि वह कांग्रेस में नहीं जा रहे हैं,. वह भाजपा में ही है और भाजपा में ही रहेंगे.
हरक सिंह रावत ने कांग्रेस में जाने का मन बना दिया था लेकिन
तो वहीं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के भी कांग्रेस में जाने की चर्चाएं थी लेकिन जैसे ही पौड़ी लोकसभा सीट से मनीष खंडूरी के कांग्रेस ज्वॉइन और टिकट मिलने की खबर पर मुहर लगी हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने के सवालों पर भी विराम लग गया। लेकिन जो खबर अब निकल कर आ रही है उसके हिसाब से हरक सिंह रावत ने कांग्रेस में जाने का मन बना दिया था,लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने ये कहा दिया कि उत्तराखंड में जिन नेताओं ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है पार्टी फिलहाल उन्हें नहीं लेने वाली है.
खैर देखने वाली बात ये होगी आखिर हरक के इस कदम के राजनैतिक गलियारों में किस तरह से माइने निकाले जाते हैं।
भाजपा से भी है दावेदारी
हरक सिंह रावत को भले ही भाजपा से टिकट न मिलने की उम्मीद थी और यही वजह रही कि उन्होंने कांग्रेस में जाने का मन बनाया. क्यों कि पिछली बार भी हरक सिंह रावत को कांग्रेस ने पौड़ी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था लेकिन पौड़ी सीट पर भाजपा के भीतर टिकट पाने को लेकर होड़ मची हुई है औऱ हरक सिंह का नाम भी दावेदारों की उन सूची में है जिनको भाजपा पौड़ी लोकसभा सीट का प्रत्याशी बना सकती है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो हरक की दावेदारी इसलिए मजबूत है क्योंकि पिछली बार का उन्हें लोकसभा चुनाव का अनुभव है औऱ पौड़ी लोकसभा सीट पर उनकी अच्छी पकड़ है.