लॉकडाउन लागू होने के बाद कुछ दिन तो लोगों ने जहां-तहां समय बिताया लेकिन जब लॉकडाउन का समय बढ़ता गया तो लोगों में घर जाने की होड़ सी लग गई। कोई पैदल ही घर को निकला तो कइय़ों को सरकार ने ट्रेन और बसों से घर भिजवाया। कई जगहों पर मजदूरों का काम छूट गया। रोजगार का साधन न रहा तो सरकार से मिले राशन से बेबस मजदूरों ने काम चलाया। वहीं अभी भी कई मजदूर फंसे हुए हैं जिन्हें कंपनी मालिकों ने सैलरी तक नहीं दी है लेकिन इस बीच कुछ ऐसे खुशनसीब मजदूर भी हैं जिनका मालिक किसी देवदूत से कम नहीं है।
मालिक ने दिखाई मजदूरों के लिए दरियादिली
जी हां दिल्ली के एक बड़े किसान को आज उसके मजदूर दुहाई दे रहे हैंं। किसान ने अपने यहां काम करने वाले 10 मजदूरों के लिए दरियादिली दिखाई। मामला दिल्ली के तिग्गीपुर गांव का है जहां किसान पप्पन सिंह गहलोत ने लॉकडाउन में काम नहीं होने पर भी अपने खेतों में काम करने वाले 10 मजदूरों को रहने-खाने की सुविधाएं उपलब्ध कराई। इतना ही नहीं किसान ने सभी मजदूरों के लिए फ्लाइट में टिकट करा के बिहार उनके घर भेजा।
मजदूर मशरूम की खेती में काम करते थे
दरअसल, बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले दस मजदूर दिल्ली में एक बड़े पप्पन सिंह और निरंजन सिंह के खेतों में ये मजदूर मशरूम की खेती का काम देखते थे। लॉकडाउन के कारण काम ठप पड़ गया। तब पप्पन सिंह और निरंजन सिंह ने ना सिर्फ दो महीने तक सभी मजदूरों के रहने की व्यवस्था की, बल्कि उनके खाने-पीने की भी व्यवस्था की।
खर्च के लिए 3000-3000 हजार रुपये भी दिए
वहीं इस बीच मजदूरों ने काम नहीं होने पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन से अपने घर वापसी की इच्छा जताई।जिसके बाद तिग्गीपुर गांव के बड़े किसान ने भी बड़ा दिल दिखाया। उन्होंने मजदूरों की फ्लाइट से घर भेजने की व्यवस्था की। मजदूरों के मालिक पप्पन सिंह गहलोत ने मजदूरों को हवाई टिकट के साथ प्रति मजदूरों को 3000 हजार रुपये भी दिए ताकि घर जाकर खर्चा पानी की व्यवस्था कर सकें।
मजदूरों ने वापस आकर काम करने की जताई इच्छा
वहीं पटना एयरपोर्ट पर उतरे इन मजदूरों ने कहा कि कुछ दिन अपने घर में रहने के बाद वो वापस दिल्ली के तिग्गीपुर गांव जाकर अपना काम संभालेंगे। पहली बार हवाई यात्रा कर इंडिगो की फ्लाइट से पटना पहुंचे 10 मजदूरों के आंखों में घर वापसी की खुशी तो थी लेकिन उनके काम पर वापस लौटने की तीव्र इच्छा है क्योंकि ऐेसे मालिक हर किसी को नहीं मिलते। ये किसान सच में खुशनसीब ही थे।