देहरादून: उत्तराखंड में कूड़ के पहाड़ जमा हो रहे हैं। हर रोज 75 हजार 600 टन कूड़ा निकलता है। इस कूड़े में जितना हिस्सा यहां के स्थानीय लोगों का है। उतना की हिस्सो बाहर से आने वाले लोगों का भी है। बाहर से उत्तराखंड आने वाले प्रत्येक व्यक्ति यहां रोजाना 75 ग्राम कूड़ा छोड़कर जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह तथ्य उजागर कर रही है कि उत्तराखंड में फ्लोटिंग पॉपुलेशन कचरे के ढेर जमा कर रही है।
अमर उजाला ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है। जिसमें बताया गया है कि उत्तराखंड में आने-जाने वाले हर एक व्यक्ति से रोजाना 75 ग्राम कूड़ा कचरा जनरेट हो रहा है, जो संपूर्ण रूप में प्रतिदिन 11,350 टन कूडे के रूप में सामने आ रहा है। उत्तराखंड के शहरी क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति 300 ग्राम कूड़ा रोजाना जनरेट कर रहा है, जबकि गांव में रहने वाले व्यक्ति का योगदान 200 ग्राम प्रतिदिन है।
हमारे निकाय चाहे, वो नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के रूप में हों या फिर गांव में त्रिस्तरीय पंचायतों के रूप में हों, फिलहाल तो कदम कदम पर इन कचरे के पहाड़ के सामने बौने नजर आ रहे हैं। 75600 टन कूड़ा प्रदेश के शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन जमा होता है। 9150 टन कूड़ा अकेले नगर निकाय क्षेत्रों से निकलता है। 300 ग्राम कूड़ा रोजाना शहरी क्षेत्र का व्यक्ति जनरेट करता है। जबकि 200 ग्राम कूड़ा ग्रामीण क्षेत्र का व्यक्ति प्रतिदिन जनरेट करता है। बड़ी बात ये है कि इतना कूड़ा जमा होने के बावजूद प्रतिदिन 50 प्रतिशत कूड़ को ही निस्तारण हो पा रहा है।