निर्भया मामले में दोषी फांसी से बचने के लिए रोज नए-नए दांव चल रहे हैं। अब एक दोषी मुकेश सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देते हुए मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की है।
ग्रोवर ने बताया कि यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दी गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघभन चौहान मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया है। ग्रोवर ने कहा कि शत्रुघ्न चौहान प्रकरण में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इन मानकों में ऐसे कैदी को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने की अनिवार्यता भी शामिल है। 2014 के इस फैसले में कहा गया था कि जेल अधिकारियों के लिए ऐसे कैदी को हफ्ते भर में आवश्यक दस्तावेज की प्रतियां उपलब्ध कराना जरूरी है। वहीं, दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, दोषियों को दस्तावेज मुहैया कराने के लिए कोई दिशानिर्देश देने की जरूरत नहीं है।
अमर उजाला में व्हापी खबर के अनुसार याचिका में दोषियों के वकील एपी सिंह ने तिहाड़ जेल से दया याचिका दाखिल करने के लिए जरूरी कागजात देने की मांग कोर्ट से की थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय कुमार जज ने कहा, दोषियों के वकील जरूरी दस्तावेज, नोटबुक, पेंटिंग और स्केच तिहाड़ जेल प्रशासन से ले जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि चारों दोषियों को डेथ वारंट के तहत एक फरवरी को फांसी की तारीख तय की गई है।