इस धुरंदर क्रिकेटर का जन्म 11 अक्टूबर 1993 को गुजरात में हुआ था। इंहे किसी पहचान की जरूरत नहीं है, चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच में महेंद्र सिंह धोनी के साथ 118 रनों की साझेदारी कर चर्चा में रहे। जी हां हम बात कर रहे है हार्दिक पांडया की. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ में वो मैन ऑफ द सीरीज़ रहे। गौरतलब है कि चैंपियन ट्रॉफी 2017 के भारत पाक फाइनल मैच में पांड्या ने अपनी बल्लेबाजी के दम पर पाक गेंदबाजों को परेशानी में डाल दिया था और हार्दिक की इस जबरदस्त पारी का हिंदुस्तान ने “हार्दिक” स्वागत किया। हार्दिक को भारतीय टीम में उभरते हुए ऑलराउंडर के तौर पर देखा जा रहा है, जिसकी तलाश भारतीय टीम को वर्षों से थी। मगर भारतीय टीम में आने का उनका ये सफर इतना आसान नहीं था।
हार्दिक 22 साल के हैं और बेहद साधारण परिवार से आते हैं। हार्दिक के पिता फाइनेंसिंग का काम करते थे, लेकिन इससे ज्यादा कमाई नहीं हो पाती थी। 2010 में उन्हें हार्ट अटैक आया, खराब होती सेहत के कारण वह नौकरी नहीं कर पाए। इस वजह से घर की हालत बेहद खराब हो गई।
हार्दिक के बड़े भाई का नाम क्रुणाल है और वो भी पेशे से एक क्रिकेटर हैं शुरुआती दिनों में हार्दिक और उनके भाई क्रुणाल 400-500 रुपये कमाने के लिए पास के गांव में क्रिकेट खेलने जाते थे। गांव का नाम था ‘पालेज’ उन्हें हर मैच के 400-500 रुपये मिल जाते थे। क्रुणाल के मुताबिक वो दिन नहीं होते तो आज के शानदार दिन भी नहीं होते।
उस समय हार्दिक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिसके चलते उनका परिवार किराये के घर में रहता था। हार्दिक ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, उस दौरान वो केवल मैगी खाते थे। क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते थे कि वो खाना खा सकें। इतना ही नहीं हार्दिक के पास अपना क्रिकेट किट भी नहीं होता था।
हार्दिक पांड्या पढ़ाई में अच्छे नहीं थे और नौवीं क्लास में फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और सिर्फ क्रिकेट पर ही फोकस किया।
पूर्व क्रिकेटर किरण मोरे ने हार्दिक पांड्या को अपनी एकेडमी में तीन साल तक फ्री ट्रेनिंग दी। शुरुआत में हार्दिक पांड्या लेग स्पिनर थे, लेकिन किरण मोरे की सलाह से वे फास्ट बॉलर बने। घरेलू क्रिकेट में दोनों भाई बड़ौदा की टीम से खेलते हैं। हार्दिक ने 20 में अपना डेब्यू साल 2013 में मुंबई के खिलाफ किया था।
घरेलू क्रिकेट के शुरुआती दिनों में हार्दिक पांड्या के पास अपना खुद का बल्ला भी नहीं था। उन्होंने 2014 में विजय हज़ारे ट्रॉफी के दौरान इरफान पठान से उनका बैट मांगा और पठान ने इस युवा खिलाड़ी की मदद अपना बैट दे कर की थी।
26 जनवरी 2016 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पहले टी-20 मैच में हार्दिक पांड्या को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला। एडिलेड में खेले गए इस मुकाबले में धौनी ने उन्हें 8वां ओवर फेंकने के लिए गेंद थमाई। इस ओवर में पांड्या ने 11 गेंदें फेंकीं क्योंकि उन्होंने पांच वाइड गेंदे फेंकी थीं। पांड्या ने इस ओवर में 19 रन दिए जो कि अपने डेब्यू टी-20 मैच के पहले ओवर में किसी भी गेंदबाज़ द्वारा सबसे ज़्यादा रन लुटाने का रिकॉर्ड है। हालांकि इसके बाद पांड्या को दो बार और गेंद थमाई गई और उन्होंने दो विकेट भी अपने नाम किए।