देहरादून : उत्तराखंड में किडनी के अवैध कारोबार का जालबट्टा बिछाने आया डॉ.अमित राऊत वह शख्स है, जो गुजरे 24 सालों से डाक्टरी के पेशे को दाग लगा रहा है। यहां तक कि जेल की सलाखों के पीछे रहने के बाद भी उसने यह धंधा नहीं छोड़ा। इसी से उसने अरबों की संपत्ति जोड़ी।
500 से ज्यादा किडनिया बेची
गोरखधंधे की इंतहां यह कि अमित बीते वर्षों में पांच सौ से ज्यादा किडनी बेच चुका है। उसने यूरोप, एशिया समेत खाड़ी देशों में नेटवर्क का जाल बिछा रखा था। इसी के जरिये ही बीते दिनों ओमान से चार नागरिक किडनी प्रत्यारोपित करने के लिए दून लाए गए थे।
पुलिस की जांच में लगभग पुख्ता हो गया है कि डॉ.अमित राऊत ही मुंबई का अमित कुमार है। 1993 में मायानगरी मुंबई में देश के पहले अवैध किडनी प्रत्यारोपण का सूत्रधार भी यही था। तब उसे मुंबई में डॉ.संतोष राऊत के नाम से जाना जाता था।
कई जगह जुड़े तार
डॉ.अमित कुमार जयपुर, गंटूर, हैदराबाद में हुए किडनी कांड में लिप्त रहा है। पुलिसिया तफ्तीश में पता चला है कि मुंबई किडनी कांड में गिरफ्तार डॉ.अमित कुमार की जमानत 1994 में हो गई थी। इसके बाद वह फरार हो गया। इसी बीच उसने कनाडा में बसने के लिए पासपोर्ट के लिए भी आवेदन किया था, इसमें वह सफल भी रहा। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि डॉ.अमित ने तीन शादियां की हुई हैं, उसकी एक बीवी इस समय कनाडा में ही रह रही है।
2000 में राज. में मामला दर्ज
डॉ.अमित व इस गिरोह के साथियों के तार मलेशिया, कनाडा एवं कई खाड़ी देशों तक जुड़े हैं। पुलिस के मुताबिक, डॉ. अमित के खिलाफ अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण के आरोप में 2000 में राजस्थान पुलिस ने भी मामला दर्ज किया था। इसके बाद उसके खिलाफ इसी वर्ष आंध्र प्रदेश के रनचिनताला में भी मामला दर्ज किया गया। 2005 में उसके खिलाफ एक बार फिर मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज किया गया, जिसका नंबर 933 है।
गुरुग्राम में 2008 में हुआ था गिरफ्तार
गुड़गांव के सेक्टर-23 में किडनी प्रत्यारोपण का काला कारोबार करने वाला डॉ. अमित पहले भी पकड़ा गया था। मगर हर बार झांसा देकर नए ठिकाने पर नए तरीके से कारोबार शुरू कर देता था। 24 फरवरी 2008 की रात उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस की सूचना पर गुरुग्राम पुलिस ने उसकी कोठी पर छापा मार कर कई ऐसे युवक बाहर निकाले थे, जिन्हें झांसा देकर वहां लाया गया और उनकी किडनी निकाल ली गई थी।
2016 में गुजरात में हुआ था अरेस्ट
कई बार पुलिस के हत्थे चढ़ने और पंचकूला कोर्ट से सजा मिलने के बाद भी डॉ.अमित राऊत काले कारोबार से मोह तोड़ नहीं पाया। पुलिस की जांच में पता चला है कि राऊत को पिछले साल जुलाई में गुजरात के आनंदा जिले की पुलिस ने गिरफ्तार किया था
पांच लाख सालाना की लीज पर लिया था अस्पताल
गुजरात से फरार होने के बाद डॉ.अमित राऊत उत्तराखंड पहुंचा था। यहां उसने अपने डाक्टर मित्र राजीव चौधरी से संपर्क साधा। राजीव ने ही राऊत को दून में ठिकाना बनाने की सलाह दी और गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल को लीज पर दिलाने में मदद की। पुलिस जांच में सामने आया है कि जुलाई 2016 में डॉ.राऊत ने पांच लाख रुपये के सालाना लीज पर अस्पताल लिया।
भारतीय करेंसी में लेता था पेमेंट
पचास हजार से एक लाख रुपये तक में जबरन गरीब के शरीर से निकाली गई किडनी को डॉ.अमित 50 से 70 लाख रुपये में बेचता था। उसके गिरोह के साथी किडनी की कीमत डॉलर या पाउंड में नहीं, भारतीय मुद्रा (रुपये) में ही वसूल करते थे।
डॉ.राजीव ने अस्पताल में जुटाये थे संसाधन
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि डॉ.राजीव चौधरी ने ही गंगोत्री अस्पताल में चिकित्सकीय उपकरणों व स्टॉफ समेत अन्य संसाधन जुटाये थे। लिहाजा राजीव को भी पुलिस इस साजिश में बराबर का साझीदार मान रही है। यही वजह है कि पुलिस अब अमित के साथ ही राजीव की भी सरगर्मी से तलाश कर रही है।
निकली थी अरबों की संपत्ति
महाराष्ट्र में 1995 में पकड़े जाने के दौरान ही उसके पास अरबों की संपत्ति मिली थी। बताते हैं कि मुंबई के सांताक्रूज में आलीशान बंगला भी था। वहीं, गुरुग्राम पुलिस को जो कागजात मिले थे, उसके अनुसार डॉ.अमित के पास गुरुग्राम के सरस्वती कुंज में प्लॉट, सोहना रोड पर फ्लैट, सेक्टर 23 का मकान व डीएलएफ फेज वन का गेस्ट हाउस भी शामिल था। इसके साथ ही दिल्ली के मालवीय नगर में भी एक मकान उसके पिता के नाम निकला था।