बकाया 35 रुपये लेने के लिए स्वामी को दो साल तक आईआरसीटीसी से लड़ना पड़ा। अपने बकाया पैसे वापस लेने के लिए स्वामी ने अप्रैल 2018 में लोक अदालत में याचिका दायर की थी, जिसका निस्तारण अदालत ने जनवरी 2019 में यह कहते हुए कर दिया था कि यह उनके क्षेत्राधिकार में नहीं है। इसके बाद उन्होंने कई आरटीआई लगाई। उन्होंने बताया कि रेलवे ने दिसंबर 2018 से अप्रैल 2019 तक 10 बार एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजते रहे। आखिरकार चार मई 2019 को आईआरसीटीसी ने लंबी लड़ाई के बाद मेरे बैंक खाते में 33 रुपये डाल दिये।
लंबी लड़ाई के कारण मुझे जो परेशानी झेलनी पड़ी उसकी क्षतिपूर्ति देने की बजाय आईआरसीटीसी ने दो रुपये रिफंड में से काट लिये। उन्होंने बताया कि वे एक बार फिर से इस मामले को आगे बढ़ाएंगे। क्योंकि आईआरसीटीसी ने एक पत्र में कहा था कि उनके व्यवसायिक सर्कुलर 49 के अनुसार उन्हें 35 रुपया वापस किया जायेगा।
उनका कहना है कि उन्होंने 2017 में गोल्डन टेंपल मेल का टिकट बुक किया था। टिकट वेटिंग होने के कारण उन्होंने इसे कैंसल करा दिया। टिकट कैंसल कराने पर उनसे सर्विस टैक्स भी चार्ज किया गया, जबकि उन्होंने टिकट जीएसटी लागू होने से पहले ही कैंसल करा दिया था। यह टिकट 2 जुलाई की यात्रा के लिए बुक कराया गया था, जीएसटी 1 जुलाई से देश भर में लागू हुआ।