उधम सिंह नगर से उत्तराखंड को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। कोरोना काल में अपनी इकलौती बेटी की आकस्मिक मौत के बाद परिजनों को उसके शव के अंतिम संस्कार के लिए तरसना पड़ा। जी हां मामला शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र गदरपुर का है, जहां पर एक युवती के शव का पोस्टमार्टम तीन दिन बाद हुआ क्योंकि शव का कोरोना सैंपल लेकर टेस्ट के लिये भेजा गया। रिपोर्ट आने पर ही शव का पोस्टमार्टम किया और शव को परिजनों को सौंपा। लेकिन तब तक शव सड़ गया था। जो कि इंसानियत को तार तार कर देनी वाली घटना है।
तीन दिन तक ऐसी पड़ा रहा इकलौती बेटी का शव, परिजन बेबस
बता दें कि गदरपुर निवासी एक परिवार की इकलौती बेटी की आकस्मिक मौत हो गई। वहीं शव के अंतिम संस्कार के लिए परिवारवालों को इन्तजार करना पड़ा, शव सड़ गया। क्योंकि मरने के बाद शव का सैम्पल कोरोना रिपोर्ट के लिए भेजा गया। रिपोर्ट आने के बाद ही शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को शव को सौंपने की कार्रवाई की गई। जिसमे तीन दिन का समय लग गया। इसे स्वास्थ्य विभाग की नाकामी कहें या फिर एक गरीब परिवार की बेबसी जिसके पास दो वक्त की रोटी नहीं है और उसकी इकलौती संतान का शव पिछले 3 दिन से रुद्रपुर मुर्दा घर में पड़ा था। परिजनों का इकलौती बेटी का गला सड़ा शव देखकर दिल भर गया और स्वास्थ्य विभाग पर गुस्सा जाहिर किया।
इनकी मानें तो 22 तारीख को शीतल नाम की लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष बताई जा रही है कि अचानक मृत्यु हो गई थी। कोरोना वायरस से संक्रमण की आशंका के चलते उसका सैंपल लिया गया था। तब तक पंचनामा के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया था। वहां पर शव किन वजहों से पोस्टमार्टम करने से देरी हुई है इसके लिए मेडिकल विभाग जवाब देह है उनके द्वारा सभी औपचारिकताएं सही तरीके से की गई।
इस खबर के बाद सरकार को विपक्ष ने भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। पूर्व मंत्री कांग्रेस तिलक राज़ बेहड़ ने भी स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किये और ऐसी घटना स्वास्थ्य विभाग की बड़ी चूक बताया।