देश में चुनाव सुधारों को लेकर चुनाव आयोग ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को अब अपनी पुलिस फाइलों में दर्ज आपराधिक कुंडली का हिसाब किताब सार्वजनिक रूप से अखबारों और टेलीविजन में प्रसारित करना होगा। चुनाव आयोग ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। संशोधित निर्देश में कहा गया है कि उम्मीदवार और उनकी पार्टी को आपराधिक केसों का विवरण न्यूज पेपर और टीवी में प्रकाशित कराना होगा।
चुनाव आयोग के संशोधित दिशा निर्देश के अनुसार, आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को नामांकन वापसी के 4 दिन के अंदर पहली पब्लिसिटी करनी होगी। जबकि नामांकन वापसी के 5 से 8 दिनों के अंदर दूसरी पब्लिसिटी करनी होगी और नामांकन वापसी के 9 से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच तीसरी पब्लिसिटी करानी होगी। आपराधिक छवि के उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग के इस दिशानिर्देश का पालन करना होगा।
बता दें कि चुनावों और उससे संबंधित आंकड़े एकत्र करने वाली संस्था एडीआर (Association for Democratic Reforms) ने 17वीं लोकसभा (2019) में चुनकर आए 542 में से 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया है कि इनमें से 233 पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जो कुल सांसदों का करीब 43 फीसदी होता है। इनमें से 159 सांसदों (29 फीसदी) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज और लंबित हैं।