गुजरात के गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में हुई आगजनी की घटना सभी को याद होगी। कैसे बोगी को बाहर से बंद आग लगा दी गई थी। आगजनी की घटना में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि महिलाओं और बच्चों समेत 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में आठ दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दे दी है। इन दोषियों को निचली अदालत और हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा मिली थी।
दोषी फारुक को पहले ही मिल चुकी जमानत
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फारुक को पहले ही जमानत दे चुका है। कोर्ट ने बीते साल 15 दिसंबर को आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे फारुक को यह कहते हुए जमानत प्रदान कर दी थी कि वह 17 वर्षों से जेल में है। वहीं अब आठ दोषियों को भी सुप्रीम कोर्ट ने 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दे दी है।
चार दोषियों को नहीं मिलेगी राहत
वहीं जहां सुप्रीम कोर्ट ने 8 दोषियों को जमानत दे दी है तो वहीं चार दोषियों को राहत देने से इनकार कर दिया। चारों दोषियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि फांसी की सजा पाए चार दोषियों को छोड़कर बाकी दोषियों को जमानत दी जा सकती है।
आगजनी में 59 लोगों की हुई थी मौत- तुषार मेहता
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि बोगी को बाहर से बंद आग लगा दी गई थी। आगजनी की घटना में महिलाओं और बच्चों समेत 59 लोगों की मौत हो गई थी। तुषार मेहता ने कहा था कि कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव तक ही सीमित थी। मगर, जब आप किसी डिब्बे को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव नहीं है