उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पिछले कुछ दिनों से रोजगार के मसले पर बड़ी लकीेरें खींचते हुए नजर आ रहें हैं। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत सोलर फार्मिंग ऐसी ही एक योजना है जो राज्य में बेरोजगारों के लिए न सिर्फ संजीवनी साबित होगी बल्कि पूरे देश में उत्तराखंड को वैकल्पिक उर्जा के क्षेत्र में नजीर के तौर पर पेश करेगा।
उत्तराखंड में सरकार ने मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की शुरुआत की है। ये योजना खासतौर पर पर्वतीय इलाकों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली हो सकती है। राज्य के कई इलाकें ऐसे हैं जहां पर पूरे साल बेहतर सूरज की रौशनी उपलब्ध रहती है। इस योजना के तहत सोलर पैनल लगाने के लिए 2 नाली तक भूमि की जरूरत होगी। यही नहीं सोलर फार्मिंग के लिए सरकार सब्सिडी भी उपलब्ध कराएगी। पहाड़ों में रह रहे लोग अपनी खाली पड़ी जमीन पर सोलर फार्मिग कर सकते हैं।
सरकार ने सोलर फार्मिंग के जरिए उत्पादित की जाने वाली विद्युत को खरीदने का ऐलान भी किया है। यानी आपके प्रोडक्ट की खरीददार खुद सरकार होगी। दरअसल इस योजना के तहत उत्पादित होने वाली बिजली को यूपीसीएल अगले पच्चीस सालों तक खरीदेगा।
त्रिवेंद्र सरकार ने इस योजना को तैयार करने से पहले खासा होमवर्क किया लगता है। मसलन भू उपयोग परिवर्तन को लेकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इसकी कोई स्टैंप ड्यूटी नहीं देनी होगी। भू उपयोग परिवर्तन एक हफ्ते में करना होगा। बैंकों को 15 दिनों में इस योजना के आवेदन के अंतर्गत मांगे गए लोन को स्वीकृत करना होगा।
इन सभी दिक्कतों का पहले ही समाधान पेश कर दिए जाने से लगता है कि मानों सरकार ने पूरा होमवर्क कर इस योजना को लांच किया है। त्रिवेंद्र सरकार की ये योजना परवान चढ़ती है तो राज्य में एक क्रांतिकारी बदलाव वैकल्पिक उर्जा के क्षेत्र में आएगा। इस योजना के तहत 25 किलोवाट के सोलर पैनल लगाए जाएंगे। मोटे अनुमान के मुताबिक एक साल में 38 हजार यूनिट का उत्पादन हो सकता है।
सरकार ने एक और रोजगार का विकल्प यहां खुला रखा है। मसलन सोलर फार्मिंग के साथ साथ इस भूमि पर मौन पालन और अन्य गतिविधियां की जा सकती हैं।
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में कई दूरगामी फैसले लिए हैं। राज्य में सोलर फार्मिंग की योजना का शुभारंभ भी ऐसी ही एक योजना है। अब दारोमदार अधिकारियों और बैंकों पर है कि इस योजना से बड़े पैमाने पर युवाओं को जोड़ा जा सके।