देहरादून: खबर उत्तराखंड फिर से असरदार साबित हुआ है। पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हमारी खबर का संज्ञान लिया और शहरी विकास विभाग भी बैकफुट पर आ गया है। दो तीन दिन पहले शहरी विकास विभाग ने जिन शिक्षओं को प्रतिनियुक्ति पर शहरी विकास विभाग में तैनाती देने का आदेश जारी किया था। उस आदेश को खाजिर करते हुए विभाग ने शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर ज्वाइन कराने से इंकार कर दिया है।
शहरी विकास विभाग ने शिक्षा विभाग से मिले सम्बन्धित अनापत्ति प्रमाण पत्र की अस्पष्टता की दशा में शहरी विकास में प्रतियुक्ति पर आये अभ्यार्थियों को ज्वाइन कराने से इंकार किया गया है। इस सम्बन्ध में कार्यवाही चल रही है। 2015 में शहरी विकास निदेशालय स्तर पर आठ पदों हेतु अधिशासी अधिकारी ग्रेड-1ध्सहायक नगर आयुक्तध्अधिकारी के आठ पदों हेतु विज्ञापन निकाला गया था। 2016 में शासन स्तर पर सचिव की अध्यक्षता में बनायी गई कमेटी ने 8 अभ्यार्थियों के लिए, प्रतिनियुक्ति हेतु अपनी संस्तुति दी थी।
वर्तमान में, अभ्यर्थियों की अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर ज्वाइंन कराने का निर्णय लिया गया था। इनमें से 2 अध्यापक, ताबिन्दा अली और पंकज गैरोला थे। इन 2 अध्यापकों को शहरी विकास विभाग में ज्वाइंन कराने से इंकार किया गया है। इस सम्बन्ध में कार्यवाही चल रही है। सूत्रों के अनुसार पंकज गैरोला स्वयं शहरी विकास विभाग में ज्वाइंन करने के इच्छुक नहीं हैं।
Exclusive : उत्तराखंड का शिक्षा विभाग बना तमाशा, प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक बने सहायक नगर अधिकारी